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..तो इसलिए कांठ बना सद्भाव का कांटा

मुजफ्फरनगर दंगों सहित प्रदेश में तमाम सांप्रदायिक घटनाओं के दौरान गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश करने वाले मुरादाबाद को आखिर कौन लोग सुलगाना चाह रहा है? इस सवाल के जवाब में कुछ अनुभवहीन अफसर और राजनीतिक फायदे की ताक में रहने वाले नेता कठघरे में खड़े नजर आते हैं। इनके ही बेढंगे रुख-रवैय

By Edited By: Published: Sun, 06 Jul 2014 08:07 AM (IST)Updated: Sun, 06 Jul 2014 08:07 AM (IST)

मुरादाबाद, [प्रदीप शुक्ला]। मुजफ्फरनगर दंगों सहित प्रदेश में तमाम सांप्रदायिक घटनाओं के दौरान गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश करने वाले मुरादाबाद को आखिर कौन लोग सुलगाना चाह रहा है? इस सवाल के जवाब में कुछ अनुभवहीन अफसर और राजनीतिक फायदे की ताक में रहने वाले नेता कठघरे में खड़े नजर आते हैं। इनके ही बेढंगे रुख-रवैये के कारण कांठ केहालात लगातार खराब होते गए। पंद्रह से ज्यादा दिन गुजर चुके हैं, लेकिन मंदिर पर लाउडस्पीकर लगाने जैसे छोटे से मुद्दे का कोई सर्वमान्य हल नहीं खोजा जा सका है।

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कांठ के नयागांव में न तो कोई नई परंपरा शुरू हुई थी और न ही दो संप्रदायों के बीच मनमुटाव जैसी कोई बात थी। नयागांव में जिस मंदिर पर लाउडस्पीकर को लेकर विवाद शुरु हुआ वहां की आबादी करीब चार हजार है, जिसमें हिंदुओं और मुसलमानों की आबादी लगभग बराबर है। पीस पार्टी के विधायक अनीसुर्रहमान यहीं के हैं। हिंदुओं में दलित ज्यादा हैं। उनका कहना है कि मंदिर में पिछले पांच साल से लाउडस्पीकर लगा था और दोनों वर्ग खुशी से यहां रह रहे थे। करीब ढाई महीने पहले लाउडस्पीकर खराब हुआ और उसके बाद मरम्मत करके जब दोबारा उसे लगाया गया तो किसी ने प्रशासन से शिकायत कर दी। ग्रामीण एक सपा नेता की ओर इशारा कर रहे हैं कि उनके ही दखल पर प्रशासन ने लाउडस्पीकर उतरवा दिया।

दलितों की शिकायत है कि जब दूसरे संप्रदाय को लाउडस्पीकर से कोई दिक्कत नहीं थी तो फिर प्रशासन क्यों इतना सख्त हो गया? दलितों ने जब लाउडस्पीकर उतारने का विरोध किया तो उन पर लाठियां चलीं। पुलिस ने घरों में घुसकर उन्हें मारा। चूंकि पिटने वाले अधिकतर दलित थे इसलिए कई राजनेता और संगठन सक्रिय हो उठे। भाजपा और उसके सहयोगी संगठनों ने भी इस मसले को हाथों-हाथ लिया। भाजपा नेता कह रहे हैं कि यदि प्रशासन जुल्म करेगा तो हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। जिस अफसरशाही पर हालात को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी है वह दिशाहीन नजर आ रही है।

भाजपा-सपा दोनों कांठ प्रकरण की जांच के लिए कमेटियां गठित कर चुके हैं। बसपा कह रही है कि यह सब सपा-भाजपा की साजिश है, लेकिन लाउडस्पीकर का मुद्दा वहीं का वहीं है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक धर्मवीर का कहना है कि तहसील दिवस में शिकायत आई थी कि गांव में लाउडस्पीकर लगने से तनाव है। जांच में शिकायत सही पाई गई इसलिए लाउडस्पीकर हटवा दिया गया। प्रशासन का यह भी कहना है कि मंदिर पर लाउडस्पीकर की अनुमति नहीं ली गई। वह यह बताने की स्थिति में नहीं कि क्या जिले के अन्य सैकड़ों धार्मिक स्थलों पर लगे लाउडस्पीकरों की अनुमति है? ।

पांच साल पूर्व लगे लाउडस्पीकर पर बिगड़ी बात

मुरादाबाद के कांठ कस्बे में शुक्रवार को हुए बवाल के संबंध में केंद्र ने उत्तर प्रदेश सरकार से रिपोर्ट मांगी है। यह जानकारी गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को लखनऊ में दी। कांठ में भाजपा के चार सांसदों व एक विधायक की गिरफ्तारी के बाद उपद्रव शुरू हो गया था, जिसमें डीएम और एसएसपी घायल हुए थे। इस बीच मुरादाबाद के एसएसपी धर्मवीर सिंह ने स्थानीय भाजपा सांसद सर्वेश सिंह को जिम्मेदार ठहराया है।

एसएसपी ने शनिवार को प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि सांसद ने मंदिर पर लाउडस्पीकर लगवाया, जो बवाल कारण बना। शनिवार को पुलिस सुबह से कांठ में सतर्क रही। भारी पुलिस बल की तैनाती के बीच अधिकारियों ने सुबह बाजार खुलवाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली।

पढ़ें: कांठ बवाल के लिए सांसद जिम्मेदार: एसएसपी


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