शादी के लिए जरूरी था रामपाल का आशीर्वाद
मध्य प्रदेश के आदिवासी इलाकों के लोगों की अंध भक्ति का रामपाल खूब फायदा उठाता था। उसकी भक्ति में डूबे ये लोग अपने परिवार की शादियों में फेरे तक नहीं लेते थे। आश्रम में आकर पति-पत्नी को रामपाल का आशीर्वाद मिलता था और शादी की रस्म पूरी मान ली जाती
जागरण ब्यूरो, चंडीगढ़। मध्य प्रदेश के आदिवासी इलाकों के लोगों की अंध भक्ति का रामपाल खूब फायदा उठाता था। उसकी भक्ति में डूबे ये लोग अपने परिवार की शादियों में फेरे तक नहीं लेते थे। आश्रम में आकर पति-पत्नी को रामपाल का आशीर्वाद मिलता था और शादी की रस्म पूरी मान ली जाती थी।
रामपाल के ज्यादातर अनुयायी ग्रामीण इलाकों के बिना पढ़े-लिखे समाज से हैं। इन्ही में मध्य प्रदेश के आदिवासी इलाके भी हैं, जहां रामपाल ने अपनी जड़ें जमाई थीं। मध्य प्रदेश के बमोरी इलाके में एक दर्जन से ज्यादा गांवों में रामपाल के अनुयायी हैं। मढ़ीखेडा, साजरवाले, करमदी, डिगडोली, डोगर, चाकरी, डोंगरी सहित कई गांवों के लोग रामपाल का पंथ अपना चुके हैं।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, रामपाल ऐसे अनुयायिओं को सिर्फ एक माला देता था, जिसे दिन में 108 बार जपना होता है। बिना बरात व वरमाला के ये लोग शादियां करते हैं। भक्तों की शादी में होने वाले खर्च को आश्रम में दान के रूप में जमा करा लिया जाता था।
बैतूल के इलाके में साजरवाले व बमोरी में कई ऐसे घर हैं, जिनके घरों की दीवार पर रामपाल का चित्र होता था। इस चित्र में बीच में रामपाल व चारों तरफ कबीर समेत भक्ति युग के कवि हैं। हर भक्त को कम से कम दो और नए भक्तों को जोड़ने की अनिवार्यता भी थी।