रेल घूस कांड: भांजा आरोपी, मामा को क्लीन चिट
रेल रिश्वत कांड में सीबीआइ ने पूर्व रेल मंत्री पवन बंसल को क्लीन चिट दे दी है। दो महीने की तय समयसीमा के भीतर मंगलवार को यहां सीबीआइ की विशेष अदालत में दाखिल चार्जशीट में आरोपियों की सूची में बंसल का नाम नहीं है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। रेल रिश्वत कांड में सीबीआइ ने पूर्व रेल मंत्री पवन बंसल को क्लीन चिट दे दी है। दो महीने की तय समयसीमा के भीतर मंगलवार को यहां सीबीआइ की विशेष अदालत में दाखिल चार्जशीट में आरोपियों की सूची में बंसल का नाम नहीं है।
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नब्बे लाख रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े गए उनके भांजे विजय सिंगला और रेलवे बोर्ड के तत्कालीन सदस्य महेश कुमार समेत दस लोगों को आरोपी बनाया गया है। आरोप है कि रेलवे बोर्ड में सदस्य इलेक्ट्रिकल बनवाने के एवज में महेश कुमार से दस करोड़ रुपये मांगे गए थे।
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मंगलवार को आरोपपत्र दाखिल नहीं होने की स्थिति में गिरफ्तार आरोपियों को जमानत मिलने की आशंका के मद्देनजर सीबीआइ को रेल मंत्रालय से महेश कुमार के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मिले बिना ही यह कदम उठाना पड़ा। जांच से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि रिश्वत कांड में पवन बंसल के खिलाफ सीधा सुबूत नहीं मिलने के कारण उन्हें आरोपी नहीं बनाया गया।
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अधिकारी के अनुसार बंसल का भांजा उनकी जानकारी के बिना ही महेश कुमार को रेलवे बोर्ड का सदस्य इलेक्ट्रिकल बनवाने के लिए 10 करोड़ रुपये की रिश्वत मांग रहा था।
सीबीआइ ने बंसल के इस दावे को भी स्वीकार कर लिया कि महेश कुमार को रेलवे बोर्ड में सदस्य कार्मिक नियमों के मुताबिक ही बनाया गया था और उसमें कोई गड़बड़ी नहीं हुई थी। सिंगला ने इसके एवज में महेश कुमार से दो करोड़ रुपये की मांग की थी, जिसमें से 90 लाख रुपये लेते हुए गत तीन मई को सीबीआइ ने उसे गिरफ्तार कर लिया था। भांजे की गिरफ्तारी के चलते ही बंसल को रेल मंत्री के पद से हाथ धोना पड़ा था।
'दैनिक जागरण' ने सिंगला की गिरफ्तार के तत्काल बाद पांच मई को विस्तार से खबर दी थी कि अनुसूचित जाति आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष बूटा सिंह की तरह पवन बंसल को भी घूस कांड में क्लीन चिट मिल सकती है। बूटा सिंह का बेटा भी एक करोड़ रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया था। उसने यह रिश्वत एक कारोबारी से अनुसूचित जाति आयोग में उसके खिलाफ चल रहे मामले को रफा-दफा करवाने के लिए ली थी। इसके बावजूद सीबीआइ ने बूटा सिंह को क्लीन चिट दे दी थी।
नियमों के मुताबिक किसी सरकारी अधिकारी के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करने के लिए संबंधित विभाग की पूर्व अनुमति जरूरी है। लेकिन, मंगलवार को आरोपियों की गिरफ्तारी के 60 दिन पूरा होते देख सीबीआइ ने रेल मंत्रालय की अनुमति के बिना ही आरोपपत्र दाखिल कर दिया। जांच एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक अदालत को रेल मंत्रालय से महेश कुमार के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करने की अनुमति जल्द मिलने का भरोसा दिया गया है।
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