कश्मीर में भूखे मर रहे लोग, हेलीकॉप्टरों पर मंत्री
भीषण बाढ़ का सामना कर रहे राज्य में जहां लाखों लोग भूखमरी का शिकार हैं तो राज्य सरकार के मंत्री और अधिकारी जनता के बीच जाने के बजाय हेलीकॉप्टरों से चक्कर लगा रहे हैं। उन्हें अभी भी लोगों के आक्रोश का डर सता रहा है। श्रीनगर के तकनीकी एयरपोर्ट पर राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्
श्रीनगर, [रोहित जंडियाल]। भीषण बाढ़ का सामना कर रहे राज्य में जहां लाखों लोग भूखमरी का शिकार हैं तो राज्य सरकार के मंत्री और अधिकारी जनता के बीच जाने के बजाय हेलीकॉप्टरों से चक्कर लगा रहे हैं। उन्हें अभी भी लोगों के आक्रोश का डर सता रहा है।
श्रीनगर के तकनीकी एयरपोर्ट पर राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से लेकर उनके मंत्रिमंडल के कई सदस्य नजर आ रहे हैं। यही नहीं आइएएस और केएएस अधिकारी भी एयरपोर्ट पर हर समय व्यस्त नजर आते हैं। बाढ़ में फंसे लोगों के बीच जाकर उनके दर्द को सांझा करने वाला कोई नहीं है। यही हाल अन्य दलों के नेताओं का भी है। सियासत भूलकर प्रभावितों के पुनर्वास की बात करने वाले सभी दलों के नेताओं को इस बात का अहसास हो गया है कि लोगों में भारी रोष व्याप्त है।
यही कारण है कि अधिकांश नेता यहां पर लोगों के बीच जाने से कतरा रहे हैं। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के चेहरे पर भी साफ चिंता की लकीरें देखी जा सकती है। उनके निवास स्थान को जाने वाली गुपकार रोड पर ही हर दिन हजारों लोग एकत्रित हो जाते हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रो. सैफुदीन सोज को पहले ही लोगों के गुस्से का शिकार होना पड़ा है। यहां के एक राहत शिविर में लोगों से मिलने गए प्रो. सोज के साथ लोगों ने बदसलूकी की।
अब हालत यह हो गई है कि अधिकांश मंत्री व विधायक वायुसेना के हेलीकाप्टरों पर बैठकर सर्वे करने जाते हैं। यह दिखाने का प्रयास करते हैं कि वे उनकी समस्याओं को लेकर गंभीर हैं। यही हाल अधिकारियों का भी है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सेना, वायुसेना, एनडीआरएफ के जवान तो दिखते हैं पर स्थानीय प्रशासन न के बराबर ही नजर आता है। हालांकि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला यह कह कर अधिकारियों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं कि हर जगह अधिकारियों का इस हालात में पहुंचना संभव नहीं है। बाढ़ में फंसे लोग इसे प्रशासनिक विफलता करार दे रहे हैं।
राजबाग क्षेत्र में फंसी आसिया का कहना है कि कोई भी अधिकारी उनकी सुध लेने नहीं आ रहा है। यही नहीं जिन क्षेत्रों में देश के विभिन्न भागों से लोग फंसे हुए हैं, वहां पर भी अधिकांश नेता नहीं पहुंचे हैं।
अब गुस्से का आलम यह है कि जब रविवार को स्वास्थ्य विभाग के आयुक्त सचिव ने हवाई सर्वे किया तो कई ने सोशल साइट्स पर भी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उनका कहना था कि अधिकारियों को बाढ़ में फंसे लोगों के बीच जाना चाहिए। कई अधिकारी भी दबे स्वर में यह स्वीकार करते हैं कि लोगों में आक्रोश है और उनके बीच जाना आसान नहीं है अब।
वहीं, जम्मू में जरूर कई मंत्री व अधिकारी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जा रहे हैं। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में उनके प्रति भी काफी रोष है।
नेकां-पीडीपी ने की सेना की सराहना
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्वास पर शनिवार को राज्य के सभी प्रमुख राजनीतिक दल एकजुट दिखे। श्रीनगर में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक में पीडीपी, नेकां और भाजपा समेत सभी पार्टियों ने सेना, वायुसेना, एनडीआरएफ और केंद्र सरकार की मदद की जमकर सराहना की। इस दौरान एक प्रस्ताव पारित कर देश के सभी लोगों व संगठनों से बाढ़ प्रभावित जम्मू-कश्मीर के लोगों की हर संभव सहायता करने की अपील भी की गई।
सर्वदलीय बैठक में मौजूद पीडीपी की अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रो. सैफुदीन सोज और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष जुगल किशोर शर्मा सहित अन्यों ने बाढ़ में मारे गए लोगों के प्रति शोक जताया गया और उनके परिजनों के प्रति गहरी संवेदना जताई गई। बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर कांग्रेस-भाजपा और नेशनल कांफ्रेंस-पीडीपी एक साथ मिलकर संदेश दे सकते हैं तो संकट की इस घड़ी में अन्य लोग भी हाथ मिलाकर लोगों की सहायता कर सकते हैं।
वहीं पीडीपी की अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती ने कहा कि यह राजनीति करने का समय नहीं है और इस समय केवल बाढ़ प्रभावितों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाकर उनका पुनर्वास करना ही प्राथमिकता है। इसमें गरीब और अमीर दोनों ही प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभावितों की सहायता के लिए संयुक्त अपील करने की जरूरत है। बैठक में यह भी सुझाव आया कि सभी सांसद अपने संसदीय निर्वाचन विकास फंड से पांच प्रतिशत राहत के लिए दें।
भाजपा के अध्यक्ष जुगल किशोर ने कहा कि इस समय प्राथमिकता राज्य भर में बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा कर उनका पुनर्वास करने की है। बैठक में मुहम्मद युसूफ तारीगामी, सज्जाद अहमद किचलू, हकीम मुहम्मद यासीन, गुलाम हसन मीर तथा नजीर अहमद वानी भी मौजूद रहे।
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