असहिष्णुता पर राष्ट्रपति ने दी फिर नसीहत, कहा-दुनिया को भारत के मूल्यों से सीखने की जरूरत
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि दुनिया अभी ‘असहिष्णुता के बदतरीन आघात से निबटने के लिए संघर्ष कर रहा है’ और यह आज के भारत की जटिल विविधता को एकजुट रखने वाले मूल्यों को बल प्रदान करने तथा दुनिया भर में उसके प्रचार-प्रसार करने का वक्त है।
नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि दुनिया अभी ‘असहिष्णुता के बदतरीन आघात से निबटने के लिए संघर्ष कर रहा है’ और यह आज के भारत की जटिल विविधता को एकजुट रखने वाले मूल्यों को बल प्रदान करने तथा दुनिया भर में उसके प्रचार-प्रसार करने का वक्त है।
इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन इंडोलॉजिस्ट का उद्घाटन करते हुए मुखर्जी ने लोगों को उन विचारों की याद दिलाई जिसके लिए भारत जाना जाता है। उन्होंने इस क्रम में स्वामी विवेकानंद का यह संदेश दोहराया कि ‘‘दुनिया को अब भी भारत से ना सिर्फ सहिष्णुता, बल्कि संवेदना का विचार सीखना है।’’
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हम आज ऐसी घटनाओं से रूबरू हो रहे हैं जिसकी पहले कोई मिसाल नहीं थी, जब दुनिया असहिष्णुता और नफरत के बदतरीन आघात से निबटने के लिए संघर्ष कर रहा है जिनसे मानव जाति कभी रूबरू नहीं हुआ था।’’
मुखर्जी ने कहा, ‘‘ऐसे वक्त में खुद को उच्च मूल्यों, लिखित और अलिखित संस्कारों, कर्तव्यों और जीवन-शैली की याद दिलाने से बेहतर कोई रास्ता नहीं हो सकता जो भारत की आत्मा है।’’
राष्ट्रपति ने इसपर भी जोर दिया कि ‘‘यह सभ्यता के मूल्यों को बल प्रदान करने का वक्त है जो आज के भारत की जटिल विविधता को एकसाथ जोड़ता है और अपने आम अवाम तथा दुनिया में उसका प्रचार-प्रसार करने का वक्त है।’
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