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OROP: पूर्व सैनिकों ने मांगा राष्ट्रपति से मिलने का समय, मेडल जलाने की भी कोशिश

वन रैंक वन पेंशन का मुद्दा एक बार फिर विवादों में घिरता नजर आ रहा है। प्रदर्शन कर रहे कई सैनिकों ने अपने मेडल को जलाने की कोशिश भी की, हालांकि पुलिस ने उन्हें रोक लिया।

By Amit MishraEdited By: Published: Wed, 11 Nov 2015 11:07 AM (IST)Updated: Wed, 11 Nov 2015 04:48 PM (IST)

नई दिल्ली। वन रैंक वन पेंशन का मुद्दा एक बार फिर विवादों में घिरता नजर आ रहा है। पूर्व सैनिकों ने केंद्र सरकार की तरफ से जारी की गई OROP अधिसूचना के विरोध में जंतर-मंतर पर प्रदर्शन का एलान करते हुए कहा कि वो 'काली दिवाली' मना रहे हैं।

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प्रदर्शन के दौरान कई सैनिकों ने अपने मेडल को जलाने की कोशिश भी की, हालांकि पुलिस ने उन्हें रोक लिया।

पूर्व सैनिकों ने विरोध-प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रपति भवन तक मार्च भी किया लेकिन पुलिस ने उन्हें पहले ही रोक लिया। पूर्व सैनिकों के प्रतिनिधिमंडल मामले पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिलना का समय मांगा है।

इस बीच कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने पीएम मोदी पर हमला करते हुए कहा कि यदि प्रधानमंत्री सैनकों को अपना परिवार बताते हैं तो वन रैंक वन पेंशन पर पूर्व सैनिकों को उनका हक क्यों नहीं दे रहे हैं।

बता दें कि इससे पहले मंगलवार को वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) को लेकर जारी किए गए नोटिफिकेशन के विरोध में पूर्व सैनिकों ने डोमेस्टिक एयरपोर्ट पर प्रदर्शन किया था। पूर्व सैनिकों ने इसे छलावा बताते हुए सरकार से अपनी मूल मांगो को लागू लागू करने की मांग की थी। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया था कि सरकार उनसे किए गए वादे पर खरा नहीं उतर रही है। विरोध के दौरान पूर्व सैनिकों ने करीब 600 पदक नई दिल्ली के उपायुक्त राजस्व संजय कुमार को लौटा दिए थे।

गौरतलब है कि वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) की मांग को लेकर पूर्व सैनिक गत 15 जून से जंतर-मंतर सहित 65 शहरों में भूख हड़ताल पर बैठे हैं। दबाव बढ़ने पर सरकार ने ओआरओपी लागू करने की घोषणा तो कर दी, लेकिन इस घोषणा को पूर्व सैनिक एक धोखे की तरह मान रहे हैं।

प्रदर्शन कर रहे पूर्व सैनिकों का मानना है कि सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन में ओआरओपी की परिभाषा को पूरी तरह तोड़-मरोड़ दिया गया है। लिहाजा पूर्व फौजी प्रदर्शन जारी रखने को मजबूर हैं। प्रदर्शन का नेतृत्व करते हुए मेजर सतवीर सिंह ने कहा कि उनकी मांग थी कि पेंशन का रिव्यू हर वर्ष हो, लेकिन सरकार हर पांच वर्ष में पेंशन रिव्यू करना चाहती है।


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