असम में शांति, राहत शिविरों की संख्या बढ़ाई
उग्रवादी संगठन नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के संगबिजीत गुट के गत सप्ताह खूनी खेल के बाद पिछले 48 घंटों से असम में स्थिति शांतिपूर्ण बनी हुई है। रविवार को भी किसी नई वारदात की सूचना नहीं है। प्रदेश के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने पुलिस महानिदेशक के साथ स्थिति
गुवाहाटी। उग्रवादी संगठन नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के संगबिजीत गुट के गत सप्ताह खूनी खेल के बाद पिछले 48 घंटों से असम में स्थिति शांतिपूर्ण बनी हुई है। रविवार को भी किसी नई वारदात की सूचना नहीं है। प्रदेश के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने पुलिस महानिदेशक के साथ स्थिति की समीक्षा की। इस दौरान राहत शिविरों की संख्या में भी इजाफा किया गया और इसमें शरण लेने वालों की तादात भी बढ़ी है। कहा जाता है कि अफवाह के चलते लोग घर छोड़ शिविरों में आ रहे हैं।
मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों के अनुसार, गोगोई ने डीजीपी खगेन शर्मा को ङ्क्षहसाग्रस्त इलाकों में स्थिति जल्द सामान्य करने की बात कही है, ताकि लोग अपने घरों की ओर लौट सकें। उन्होंने प्रदेश के मुख्य सचिव, आपदा प्रबंधन, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अधिकारियों के साथ भी हालात पर चर्चा की। राज्य गृह आयुक्त प्रतीक हलेजा ने बताया कि स्थिति पूरी तरह प्रदेश सरकार के काबू में है। पिछले 48 घंटों में ङ्क्षहसा की कोई वारदात नहीं हुई है। सुरक्षा बलों की 50 कंपनियां तैनात की गई हैं। असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पीके तिवारी ने बताया कि ङ्क्षहसा से प्रभावित लोगों के लिए राहत शिविरों की संख्या में इजाफा किया गया है। इसे 81 से बढ़ाकर 136 कर दिया गया है, जिसमें एक लाख 76 हजार से ज्यादा लोगों ने शरण ले रखी है। एक दिन पहले तक शरणार्थियों की संख्या एक लाख एक हजार के आसपास ही थी। फिलहाल करीब 61 हजार बोडो व एक लाख 15 हजार आदिवासियों ने शरण ले रखी है। प्रशासन ङ्क्षहसा प्रभावित चारों जिलों कोकराझाड़, शोणितपुर, चिरांग व उदालगुड़ी में मुस्तैदी से राहत कार्यों में जुटा है।
सुरक्षा बलों को खास सफलता नहीं
व्यापक अभियान के बावजूद उग्रवादियों के खिलाफ कुछ सफलता हाथ नहीं लगी है। असम-अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में उग्रवादी खुलेआम हथियार लेकर घूम रहे हैं। शांतिपुर के राहत शिविर के एक शरणार्थी ने बताया कि रविवार को भी मोटरसाइकिल से एनडीएफबी (एस) के चार उग्रवादी हथियार लेकर घूम रहे थे।
असम में राष्ट्रपति शासन स्वीकार नहीं: कांग्रेस
असम कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अंजन दत्ता ने कहा कि बोडो उग्रवादियों के खूनी खेल के बाद विरोधी दलों द्वारा असम में राष्ट्रपति शासन की मांग स्वीकार्य नहीं है। कहा, एक दशक पहले यहां कांग्रेस की सत्ता आने के बाद ही स्थितियां नियंत्रण में आई हैं। इससे पहले हमने देखा क्या होता था? कांग्रेस शासन आने के बाद यहां लोग देर रात दो बजे तक भी बाहर घूम सकते हैं। वर्तमान परिस्थितियों में राष्ट्रपति शासन की मांग स्वीकार्य नहीं है।