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OROP: पूर्व सैनिक की आत्महत्या को भुनाने में जुटा विपक्ष

रक्षा मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि पूर्व फौजी रामकिशन ग्रेवाल को वन रैंक वन पेंशन का लाभ मिल चुका था।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Thu, 03 Nov 2016 12:59 AM (IST)Updated: Thu, 03 Nov 2016 09:08 AM (IST)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: वन रैंक वन पेंशन को लेकर पूर्व सैनिक राम किशन ग्रेवाल की आत्महत्या ने राजनीति गरमा दी है। गुलाम कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक के मुद्दे पर बैकफुट पर गया विपक्ष इसी बहाने केंद्र सरकार के खिलाफ सड़क पर उतर आया।

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कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तक ने सीधे प्रधानमंत्री को कठघरे में खड़ा करते हुए सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगा दिया। उनकी ओर से पूरी कोशिश रही कि इस बहाने सरकार और भाजपा के जवानों के प्रति प्रेम को ही कठघरे में खड़ा किया जाए।

पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, ग्रेवाल ओआरओपी के आंदोलन से कई साल से जुड़े थे। वह 31 अक्टूबर को भिवानी से दिल्ली आए थे। वह अपने साथियों के साथ मंगलवार सुबह करीब 12 बजे लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर से मिलने उनके ऑफिस गए थे।

लेकिन उन्हें दोनों से मिलने में सफलता नहीं मिली। इसके बाद वापस लौटते हुए वह जवाहर भवन स्थित एक पार्क में रुके।

इस बीच कुछ साथी खाने-पीने का सामान लेने के लिए चले गए। इसी दौरान रामकिशन को उनके साथियों ने बेहोश हालत में देखा। सूचना पर पहुंची पीसीआर वैन ने तत्काल राम किशन को डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया। शाम करीब पांच बजे उनकी मौत हो गई।

पुलिस ने राम किशन के पास से एक सुसाइड नोट और सल्फास बरामद किया है।

बुधवार सुबह राम किशन के परिजन डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल पहुंचे। इसकी खबर लगते ही नेताओं ने अस्पताल की दौड़ लगानी शुरू कर दी। सबसे पहले दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ग्रेवाल के परिजनों से मिलने अस्पताल पहुंचे। लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक लिया। हंगामे के बाद पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया और मंदिर मार्ग थाना भेज दिया। कुछ देर बाद उन्हें रिहा कर दिया गया।

इसके बाद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी ग्रेवाल के परिजनों से मिलने पहुंचे। पुलिस ने उन्हें भी रोक दिया। करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद राहुल लौटने की बात कहकर निकल गए। लेकिन पीछे के दरवाजे से अस्पताल में घुसने की कोशिश करने पर पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया और मंदिर मार्ग थाना भेज दिया।

इस बीच, शव को पोस्टमार्टम के लिए लेडी हार्डिग मेडिकल कॉलेज भेजा गया, तो मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल वहां पहुंच गए। वे भी परिजनों से मिलने की बात करने लगे। पुलिस ने उन्हें भी इसकी अनुमति नहीं दी। केजरीवाल को हिरासत में लेकर आरके पुरम थाना भेज दिया गया, जहां से बाद में उनको छोड़ दिया गया।

वहीं मंदिर मार्ग थाना से छूटने के बाद कनॉट प्लेस पहुंचे राहुल गांधी को पुलिस ने फिर हिरासत में ले लिया और तिलक मार्ग थाने ले गई। जहां से बाद में उन्हें छोड़ दिया गया। इस दौरान इन सभी थानों पर कार्यकर्ता हंगामा करते रहे। इस गहमा-गहमी के बीच बुधवार देर रात ग्रेवाल के शव का पोस्टमार्टम कर भिवानी भेज दिया गया।

कौन थे सूबेदार ग्रेवाल

रामकिशन ग्रेवाल हरियाणा के भिवानी जिले के रहने वाले थे।

वह 30 साल सेना में सेवारत रहे। सूबेदार के पद से रिटायर हुए थे।

70 वर्षीय ग्रेवाल ओआरओपी के आंदोलन से जुड़े हुए थे।

फोन पर बेटे से आखिरी बात

रामकिशन : हेलो।

बेटा : हां पापा।

रामकिशन : भाई ऐसा है प्रदीप, मैंने पोइजन खा लिया सै।

बेटा : यो के करा आपनै?

रामकिशन : म्हारे साथ मै अनर्थ हो रहा है। म्हारे जवानों के साथ अन्याय हो रहा है। मेरे से देखा नहीं गया।

बेटा : फेर यो के डिसिजन लिया पापा?

रामकिशन : डिसिजन का के मतलब हो सै? अरै तेरी मां तैं बात करवा एक बार।

बेटा : कौन-सी टेबलेट थी?

रामकिशन : सल्फास की। जवानों के लिए मैंने अपने आप को न्योछावर कर दिया।

बेटा (रोते हुए) : आप हिम्मत हार गए पापा।

रामकिशन : तू रहण दे न। तेरी मां तै बात करवा।

मिल चुका था ओआरओपी का लाभ

रक्षा मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि पूर्व फौजी रामकिशन ग्रेवाल को वन रैंक वन पेंशन का लाभ मिल चुका था। मंत्रालय के सूत्रों ने यह भी कहा कि छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के हिसाब से ग्रेवाल को लाभ दिया गया था। लेकिन भिवानी की एसबीआइ शाखा ने हिसाब करने में गड़बड़ी कर दी। इससे ग्रेवाल को कम पैसा मिला। अब इस मामले की जांच की जाएगी।

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