अब एनजीओ भी बनेंगे पर्यावरण के प्रहरी, प्रदूषण रोकने में करेंगे मदद
एनजीओ (स्वयंसेवी संस्थाएं) भी पर्यावरण के प्रहरी बन सकेंगे। वे पर्यावरण प्रदूषण को लेकर विभिन्न क्षेत्रों में काम करेंगे।
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर की आबोहवा में सुधार की डोर अब सरकारी एजेंसियों के ही हाथों में नहीं रहेगी। एनजीओ (स्वयंसेवी संस्थाएं) भी पर्यावरण के प्रहरी बन सकेंगे। वे पर्यावरण प्रदूषण को लेकर विभिन्न क्षेत्रों में काम करेंगे। इसके लिए उन्हें सीपीसीबी (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) से यथासंभव आर्थिक सहयोग भी मिलेगा।
दिल्ली-एनसीआर में डीजल वाहनों के पंजीकरण पर वाहन की कुल लागत का दो फीसद पर्यावरण कर के रूप में देना पड़ता है। इस कर के रूप में आने वाला पैसा सीपीसीबी के खाते में जमा होता है। इस खाते व फंड का नाम है ईपीसी (एनवॉयरमेंट प्रोटेक्शन चार्ज)। लगभग 20 करोड़ रुपये से अधिक के इस फंड को लेकर पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने सीपीसीबी और ईपीसीए (पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण) को आदेश दिया था कि इसका उपयोग पर्यावरण की बेहतरी के लिए किया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मद्देनजर सीपीसीबी ने प्रस्तावित प्लान ईपीसीए को सौंप दिया है। ईपीसीए ने इसे कोर्ट में जमा करा दिया है। प्लान में पर्यावरण की बेहतरी के लिए काम करने वाले संगठनों, संस्थानों और एनजीओ को आर्थिक मदद करने का निर्णय लिया गया है। यह मदद पांच श्रेणियों में दी जाएगी।
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सीपीसीबी के एक अधिकारी बताते हैं कि इससे पर्यावरण संरक्षण का दायरा और विस्तृत होगा, जनता भी जागरूक होगी। निजी स्तर पर भागीदारी बढ़ने से परिणाम भी सकारात्मक आएंगे। खास बात यह कि इस फंडिंग के दायरे में एनसीआर के साथ-साथ पंजाब भी शामिल रहेगा।
पांच श्रेणियों के तहत ईपीसी फंड का सहयोग
1. पर्यावरण प्रदूषण से निपटने के लिए ढांचा तैयार करना, क्षमता बढ़ाना।
2. एनसीआर के सभी 22 जिलों में वायु और ध्वनि प्रदूषण का निगरानी नेटवर्क बढ़ाना।
3. टीवी, रेडियो और सोशल मीडिया के जरिये पर्यावरण जागरूकता के लिए अभियान चलाना।
4. वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए शोध रिपोर्ट बनाना।
5. वायु व ध्वनि प्रदूषण से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव पर शोध रिपोर्ट तैयार करना।
ईपीसी फंड के उपयोग को लेकर सीपीसीबी के प्लान पर सुप्रीम कोर्ट से स्वीकृति मिलने का इंतजार है। इसके बाद फंडिंग के लिए आने वाले विभिन्न एनजीओ के प्रस्तावों की छंटनी और उन्हें स्वीकृति देने का काम शुरू हो जाएगा। उम्मीद है कि इस नई पहल से मौजूदा हालात में तेजी से सुधार होगा।
-डॉ. भूरेलाल, अध्यक्ष, ईपीसीए।
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