भारत का चीन से अंतरिक्ष में प्रतिस्पर्धा से इन्कार
भारत ने चीन के साथ अंतरिक्ष में प्रतिस्पर्धा को खारिज किया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के राधाकृष्णन के मुताबिक भारत का मंगल अभियान (मार्स ऑरबिटर मिशन, एमओएम) का अंतरिक्ष प्रतिस्पर्धा से कोई लेना-देना नहीं है। उनके मुताबिक अंतरिक्ष अनुसंधान को लेकर भारत, अमेरिका, रूस और चीन की अपनी
बेंगलूर। भारत ने चीन के साथ अंतरिक्ष में प्रतिस्पर्धा को खारिज किया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के राधाकृष्णन के मुताबिक भारत का मंगल अभियान (मार्स ऑरबिटर मिशन, एमओएम) का अंतरिक्ष प्रतिस्पर्धा से कोई लेना-देना नहीं है। उनके मुताबिक अंतरिक्ष अनुसंधान को लेकर भारत, अमेरिका, रूस और चीन की अपनी अपनी प्राथमिकताएं हैं।
इसरो पांच नवंबर को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से मंगल अभियान को अंतरिक्ष में स्थापित करने जा रहा है। यदि एमओएम का प्रक्षेपण सफल रहता है तो भारत अमेरिका, रूस और यूरोप के बाद इसमें दक्षता हासिल करने वाला चौथा देश हो जाएगा। राधाकृष्णन के मुताबिक मंगल अभियान का मुख्य उद्देश्य वहां मीथेन गैस की उपस्थिति और उसके श्रोत का पता लगाना है। इसके अलावा भारत स्वदेशी क्रॉयोजेनिक इंजन वाले जीएसएलवी प्रक्षेपण यान का परीक्षण भी 15 दिसंबर को करने वाला है। वर्ष 2010 में इसका परीक्षण विफल हो गया था।
राधाकृष्णन ने बताया कि अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में हमलोगों ने जो कार्यक्रम बनाए हैं, उसको अंजाम तक पहुंचाने के लिए हमें खुद से ही प्रतिस्पर्धा करनी होगी। इसरो प्रमुख के मुताबिक स्वदेशी प्रक्षेपण यान विकसित करने के अलावा संगठन का कार्यक्रम फिलहाल स्पेस अप्लीकेशन, संचार, रिमोट सेंसिंग, नेविगेशन और अंतरिक्ष विज्ञान पर केंद्रित है।
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