मंगल अभियान के पीछे राजनीतिक उद्देश्य नहीं
चुनावी माहौल में मार्स ऑरबिटर मिशन (मंगल अभियान) को अंतरिक्ष में स्थापित करने को राजनीतिक फायदे से जोड़ने के आरोप को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के. राधाकृष्णन ने बेतुका करार दिया है। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए कार्यक्रम एक सरकार बनाती है और दूसरी सरकार में वह परवा
बेंगलूर। चुनावी माहौल में मार्स ऑरबिटर मिशन (मंगल अभियान) को अंतरिक्ष में स्थापित करने को राजनीतिक फायदे से जोड़ने के आरोप को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के. राधाकृष्णन ने बेतुका करार दिया है। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए कार्यक्रम एक सरकार बनाती है और दूसरी सरकार में वह परवान चढ़ती है। दूसरी ओर, रविवार से मार्स ऑरबिटर की उल्टी गिनती शुरू हो जाएगी।
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मार्स ऑरबिटर मिशन को पांच नवंबर को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से भारतीय समयानुसार दोपहर बाद 2.36 बजे पीएसएलवी-सी25 से प्रक्षेपित किया जाएगा। केंद्र में कांग्रेस नीत संप्रग-2 सरकार को इससे राजनीतिक फायदा मिलने के कयास लगाए जा रहे हैं। इस दौरान पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में लोगों के बीच 'फील गुड' और 'आत्म गौरव' की भावना पैदा की जा सकती है।
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राधाकृष्णन ने कहा कि वर्ष 1962 से शुरू हुए अंतरिक्ष कार्यक्रम ने कई मुकाम हासिल किए हैं। इसे किसी राजनीतिक सत्ता को ध्यान में रखकर तैयार नहीं किया गया। आप जब कोई योजना बनाते हैं तो उसे पूरा करने में समय लगता है। ऐसे में प्रक्षेपण का समय राजनीति से प्रेरित नहीं होता है। उनके मुताबिक आलोचक कुछ भी कह सकते हैं, उन्हें कोई नहीं रोक सकता। इसरो के पूर्व प्रमुख जी. माधवन नायर द्वारा मून मैन के तमगे की तर्ज पर मार्स मैन कहलाने से भी राधाकृष्णन ने परहेज किया। उन्होंने कहा कि वह इसरो मैन कहलाना पसंद करेंगे। माधवन के कार्यकाल में ही चंद्रयान प्रथम का प्रक्षेपण किया गया था।
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