वित्त मंत्री ने दिए संकेत, पुराने नोटों की संख्या के बराबर नहीं आएंगे नए नोट
जेटली ने कहा कि उच्च मूल्य वर्ग के नोटों को अमान्य करने के फैसले से एक नई सोच और सामान्य तौर पर डिजिटल करेंसी के चलन का स्तर बना है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार ने इस बात के स्पष्ट संकेत दे दिए हैं कि पुराने नोटों के बराबर की संख्या में नई करेंसी जारी नहीं होगी। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को कहा कि पुरानी और नई करेंसी के अंतर की भरपाई डिजिटल करेंसी करेगी।
वित्त मंत्री ने 500 और 1,000 रुपए के पुराने नोटों को अमान्य किए जाने को एक साहसिक कदम बताया और कहा कि भारत में इतनी क्षमता है कि वह इस तरह के कदम उठा सके और इसका अनुभव उठा सके।
जेटली ने कहा कि उच्च मूल्य वर्ग के नोटों को अमान्य करने के फैसले से एक नई सोच और सामान्य तौर पर डिजिटल करेंसी के चलन का स्तर बना है। इससे पहले, पिछले सात दशक से जो सामान्य चलन था, वह अब 'स्वीकार्य नहीं' है। जेटली ने फिक्की की 89 वीं वार्षिक आम बैठक को संबोधित कहते हुए कहा कि नोटों को अमान्य करने के कदम से अर्थव्यवस्था, चलन में अधिक नकदी की समस्या से बाहर निकलेगी। अधिक नकदी से कर चोरी, कालाधन और अपराध के लिये करेंसी का इस्तेमाल जैसी समस्याएं खड़ी होती हैं।
जेटली ने कहा, 'नोटबंदी की इस पहल के पीछे यह प्रयास रहा है कि चलन में कम नकदी को ही रखा जाये। हमारा यह सोचा समझा प्रयास है कि बाकी अंतर को डिजिटल करेंसी के जरिये ही पूरा किया जाये।' सरकार ने आठ नवंबर को अचानक जब नोटबंदी की घोषणा की थी, तब 500 रुपए के 1,716.50 करोड़ और 1,000 रुपए के 685.80 करोड़ नोट चलन में थे। उद्योगपतियों को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा कि पुराने नोटों के स्थान पर नई मुद्रा को चलन में लाने की पूरी प्रक्ति्रया में ज्यादा समय नहीं लगेगा और मुझे पूरा विश्र्वास है कि रिजर्व बैंक रोजाना बैंकिंग तंत्र और डाकघर प्रणाली के जरिये नई मुद्रा पहुंचाकर इसे जल्द पूरा कर लेगा।'
जेटली ने कहा कि दूसरी तरफ भुगतान के लिये डिजिटल प्रणाली का इस्तेमाल बढ़ाने के काम तेजी से आगे बढ़ रहा है। 'पिछले पांच सप्ताह के दौरान जिस तरह से यह काम आगे बढ़ा है, वह सराहनीय है। यह सब जो हो रहा है, लगता है कि संसद का एक वर्ग इससे अनभिज्ञ है।' वित्त मंत्री ने कहा कि एक बार नये नोट जारी करने की प्रक्ति्रया पूरी हो जाये तो उसके बाद देश में एक नया सामान्य चलन कायम होगा। इससे पहले पिछले 70 सालों से जो कुछ चला आ रहा था वह स्वीकार्य सामान्य स्तर नहीं था।
सरकार ने उच्च मूल्य वर्ग के नोटों को वापस लेने का जो 'साहसिक कदम' उठाया है जिसमें बड़ी संख्या में पुरानी मुद्रा के स्थान पर नई मुद्रा को जारी किया जाना है। ''वास्तविकता यह है कि भारत के पास आज ऐसे निर्णय लेने और उन्हें लागू करने की क्षमता है। विशेषकर जब पूरी दुनिया का नजरिया आंतरिक ज्यादा हो रहा है, ऐसे माहौल में जहां तक भारत की बात है वह दुनिया से अलग दिखता है।' जेटली ने देश की मजबूती की भी बात की जो कि नोटबंदी जैसे फैसले में भी अडिग रह सकता है। यह ऐसा फैसला है जिसमें अल्पकालिक असुविधा को सहन कर स्पष्ट तौर पर दीर्घकालिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
वित्त मंत्री इस बात को लेकर भी संतुष्ट दिखे कि मौजूदा 75 करोड़ डेबिट-क्रेडिट कार्ड के साथ साथ बाजार में चल रहे ई-वॉलेट से डिजिटल लेनदेन को बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इन बदलावों को सही मुकाम तक पहुंचाया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि घरेलू स्तर पर भुगतान के डिजिटलीकरण की दिशा में रुझान दिखने लगे हैं। उन्होंने कहा कि दिशा को लेकर सरकार में स्पष्टता है, उसमें इन फैसलों के साथ आगे बढ़ने के लिये मजबूती और सहनशक्ति है।