महबूबा के मुख्यमंत्री बनने के साथ ही रियासत की सियासत मे नए दौर की शुरुआत
जम्मू कश्मीर की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में महबूबा मुफ्ती के शपथ लेने के साथ ही राज्य में एक नए अध्याय की शुरूआत हो गई है।
जम्मू। जम्मू कश्मीर की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में महबूबा मुफ्ती के शपथ लेने के साथ ही राज्य में एक नए अध्याय की शुरूआत हो गई है। अपने पिता मरहुम मुफ्ती मोहम्मद सईद की राजनीतिक विरासत संभालने वाली महबूबा मुफ्ती के लिए अपनी पार्टी पीडी और गठबंधन की सहयोगी भाजपा के साथ तालमेल बिठाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। इसमें वह कितना खरा उतरेंगी यह आने वाला वक्त ही बताएगा।
करीब तीन माह के राज्यपाल शासन के बाद सरकार की कमान हाथ में लेने वाली महबूबा मुफ्ती के मंत्रिमंडल के कुछेक चेहरों को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर पुराने चेहरों को ही वरीयता दी गई है। पीडीपी और भाजपा के 11-11 मंत्रियों को साथ लेकर उन्होंने सहयोगी भाजपा की मंत्रिमंडल में बराबर की भागीदारी की बात भी स्वीकार की। यही कारण है कि उन्होंने अपने दो पूर्व मंत्रियों जावेद मुस्तफा मीर और सैयद अल्ताफ बुखारी को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया। पिछली सरकार में पीडीपी के 14 और भाजपा के 11 मंत्री थे।
राज्य संविधान में मंत्रीमंडल में मुख्यमंत्री सहित कुल पच्चीस मंत्रियों को शामिल करने का प्रावधान। लेकिन महूबबा मुफ्ती ने अभी दो मंत्रियों के लिए जगह रखी है। पीडीपी ने इसमें मुफ्ती सरकार में रहे चार मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया और उनकी जगह केवल दो ही मंत्री लिए।
मंत्रिमंडल में भाजपा ने मुफ्ती सरकार में मंत्री रहे सुखनंदन चौधरी और भाजपा कोटे से राज्य मंत्री बने उधमपुर के निर्दलीय विधायक पवन गुप्ता को इसमें जगह नहीं दी। लेकिन उधमपुर क्षेत्र में पार्टी कार्यकर्ताओं में नाराजगी न हो, इसे देखते हुए रियासी से पार्टी कोविधायक अजय नंदा को मंत्रिमंडल में जगह दी है। वहीं भाजपा ने अपने कोटे से ही मुफ्ती सरकार में मंत्री बनाए पीपुल्स कांफ्रेंस के सज्जाद लोन को इस बार भी पहले की तरह ही बरकरार रखा है। भाजपा पर इस बार अपने इकलौते मुस्लिम विधायक अब्दुल गनी कोहली को भी हटाने का दबाव था लेकिन वह मंत्रीमंडल में जगह पाने में सफल रहे।
शपथ ग्रहण समारोह में यह भी देखने को मिला कि महबूबा मुफ्ती और निर्मल सिंह के बाद पीडीपी के वरिष्ठ नेता अब्दुल रहमान वीरी ने शपथ ली। इससे यह भी संकेत गया कि उन्हें इस बार उन्हें पदोन्नत किया जाएगा। मुफ्ती सरकार में उन्हें हार्टीकल्चर, हज और औकाफ मंत्रालय दिए गए थे। वहीं मुफ्ती मोहम्मद सईद के करीबी रहे पूर्व शिक्षा मंत्री नईम अख्तर को इस बार खास तवज्जो नहीं दी गई है।
महबूबा मुफ्ती का राजनीतिक सफरनामा
महबूबा राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री हैं लेकिन उनके मंत्रिमंडल में दो ही महिलाओं पीडीपी की आसिया नक्काश और भाजपा की मनोनीत विधायक प्रिया सेठी को जगह मिली है। यह दोनों मुफ्ती सरकार में भी राज्य मंत्री थीं। मंत्रिमंडल में विभागों के आवंटन से लेकर कई विवादित मुद्दों को हल करना महबूबा मुफ्ती के लिए चुनौती होगा। विशेषकर राज्य से अफस्पा हटाना और अनुच्छेद 370 को समाप्त करने को लेकर दोनों ही दलों में गहरे मतभेद हैं।
भाजपा जहां अफस्पा को बरकरार रखने की पक्षधर रही है, वहीं पीडीपी लगातार सेना को मिले इस अधिकार को हटाने की मांग करती रही है। यही नहीं विस्थापित कश्मीरी पंडितों की घाटी में सम्मानपूर्वक वापसी, दुलहस्ती और उड़ी पावर प्रोजेक्टों को राज्य में वापस लाना भी उनके लिए आसान नहीं होगा।
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