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साइकिल खरीदने के लिए जोड़े थे पैसे, त्रासदी देख किए दान

सात साल का पुष्कर साइकिल खरीदने के लिए दो साल से गुल्लक में पैसा जमा कर रहा था। लेकिन नेपाल त्रासदी की तस्वीरों ने उसका मन झकझोर दिया। उसने उन पैसों से साइकिल नहीं खरीदने का फैसला किया। भूकंप पीडि़त बच्चों की पढ़ाई के निमित्त उसने अपनी गुल्लक गायत्री तीर्थ

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Tue, 05 May 2015 01:33 PM (IST)Updated: Tue, 05 May 2015 02:55 PM (IST)

हरिद्वार। सात साल का पुष्कर साइकिल खरीदने के लिए दो साल से गुल्लक में पैसा जमा कर रहा था। लेकिन नेपाल त्रासदी की तस्वीरों ने उसका मन झकझोर दिया। उसने उन पैसों से साइकिल नहीं खरीदने का फैसला किया। भूकंप पीडि़त बच्चों की पढ़ाई के निमित्त उसने अपनी गुल्लक गायत्री तीर्थ शांतिकुंज के संस्थापक पं. श्रीराम शर्मा आचार्य की समाधि स्थल पर रखे नेपाल राहत घट में डाल दी है।

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पुष्कर ने इसके पहले भी उत्तराखंड त्रासदी में बाढ़ पीडि़त बच्चों की किताबें खरीदने के लिए अपनी गुल्लक दे दी थी।

लाइलाज बीमारी से पीडि़त जुड़वा भाई बने मिसाल

मेरठ। खुद लाचार, लेकिन समाज के लिए संबल। यह कहानी है उत्तर प्रदेश के मेरठ निवासी जुड़वा भाई आयुष और पीयूष की। 12वीं में पढऩे वाले ये दोनों भाई जन्म से सेरेब्रल पॉल्सी नामक लाइलाज बीमारी से पीडि़त हैं। चलने में असमर्थ हैं। लेकिन अपने दिमाग को हथियार बनाया। दूसरों का संबल बनने का जज्बा किसी भी सक्षम और सशक्त से ज्यादा। दोनों भाइयों ने ब्लड टेस्टिंग लैब खोली है। वे कहते हैं- 'यह अभियान आखिरी सांस तक चलेगा। जज्बा हो तो खामियां खूबियों में बदल जाती हैं।'

[साभार: नई दुनिया]

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