नेपाल त्रासदी : दस साल पीछे चला गया नेपाल का पर्यटन
नेपाली में कहावत है कि 'माछाको धरती पर पानी' यानी बिना पानी के मछली जिंदा नहीं रहती। भूकंप के बाद इसी कहावत को नेपाल के लोग पर्यटन के नुकसान के संदर्भ में देख रहे हैं।
काठमांडू (अरविंद शर्मा)। नेपाली में कहावत है कि 'माछाको धरती पर पानी' यानी बिना पानी के मछली जिंदा नहीं रहती। भूकंप के बाद इसी कहावत को नेपाल के लोग पर्यटन के नुकसान के संदर्भ में देख रहे हैं। मतलब साफ है कि पर्यटन के बिना नेपाल कैसे रहेगा? कैसे विकास करेगा, क्योंकि भूकंप ने नेपाल की सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक संपदा को भारी नुकसान पहुंचाया है। ऐसे में नेपाल पर्यटन बोर्ड के विजन 2020 का क्या होगा, जिसमें प्रति वर्ष 20 लाख पर्यटकों को आकर्षित करने का लक्ष्य रखा गया था। पिछले साल तक तो वृद्धि संतोषजनक थी, लेकिन इस बार ब्रेक लग गया है।
काठमांडू के त्रिभुवन विश्वविद्यालय में इतिहास के विभागाध्यक्ष विनय कुमार मानंधर के मुताबिक पहले से विदेशी आक्रमण, फिर 1934 के भूकंप और अब इस भूकंप ने नेपाल की पर्यटन व्यवस्था की कमर तोड़ दी है। इसकी भरपाई में कम से कम दस साल लगेंगे। जो धरोहर नष्ट हो गए हैं, उनका पुनर्निर्माण तो संभव है लेकिन उनकी वास्तविकता और प्राचीनता कहां से लाई जाएगी! मानंधर नेपाल इतिहास संघ के अध्यक्ष भी हैं।
नेपाल मारवाड़ी सेवा समिति के अध्यक्ष महेश मोदी के मुताबिक देश की 60 प्रतिशत अर्थव्यवस्था काठमांडू में सिमटी हुई है और काठमांडू के 80 प्रतिशत उद्योग-धंधे पर्यटन पर निर्भर हैं। भूकंप में अधिकांश बड़े मंदिर, मठ और पुराने स्मारक टूट गए हैं। अब विदेशियों को नेपाल कैसे आकर्षित करेगा?
न्यू रोड के प्रसिद्ध ज्वेलर बलराम पांडे का दर्द भी कुछ इसी तरह का है। मूल रूप से कोलकाता के रहने वाले बलराम के सारे परिवार दहशत के कारण काठमांडू से भाग गए हैं। कोई काम करने वाला तक नहीं है। दस दिनों से व्यवसाय पूरी तरह से ठप है। न कारीगर, न खरीदार। भूकंप के बाद अब महामारी का डर है। महीने दो महीने तो ऐसे ही चलेगा।
टे्रकिंग एजेंट एसोसिएशन ऑफ नेपाल के अध्यक्ष रमेश धर लाले को आशंका है कि इस बार पर्यटकों की संख्या घटेगी, क्योंकि नेपाल आने के कई रास्तों पर अभी चट्टानें पड़ी हुई हैं। छोटे रास्ते तो अवरुद्ध हैं ही, प्रमुख मार्गों में भी दरारें पड़ गई हैं। गांवों में जाने से विदेशी पर्यटक बचेंगे। नेपाल एसोसिएशन ऑफ टूर एंड ट्रैवेल्स के अध्यक्ष डीबी लिंबुले नेपाल के इस भूकंप को इंडोनेशिया के सूनामी से जोड़ते हैं। जहां सुनामी के बाद पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट आई थी। पूरी दुनिया के लोग जान गए हैं कि नेपाल में बार-बार भूकंप आता है। इसलिए लोग यहां आने से डरेंगे।
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नेपाल में पर्यटक
वर्ष संख्या
2007 5.26 लाख
2008 5.01 लाख
2013 7.50 लाख
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सबसे ज्यादा पर्यटक यूरोप से : नेपाल सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार सबसे ज्यादा यूरोप के पर्यटक (27.5 प्रतिशत) नेपाल आते हैं। पड़ोसी देश होने के बावजूद भारत का प्रतिशत काफी कम है। नेपाल आने वाले कुल पर्यटकों में अमेरिका की भागीदारी 7.6 प्रतिशत है। नेपाल में मठों और मंदिरों के अलावा हिमालय की चोटियां आकर्षित करती हैं।