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घर की 'इज्जत' को घर में मिला 'सिंदूर'

कवाल बेशक आज फिर चर्चाओं में है, लेकिन डरिए नहीं इस बार खबर नफरत या खून से सनी हुई नहीं, बल्कि इंसानी रिश्ते के फिर से दमक उठने की है। कवाल के बाद पूरे मुजफ्फरनगर में मचे बवाल में सचिन की विधवा स्वाति का दर्द और उसकी तनहाइयां खून-खराबे और सियासत के अंधे दावानल में शायद कहीं गुम हो गई थ

By Edited By: Published: Wed, 04 Dec 2013 12:03 AM (IST)Updated: Wed, 04 Dec 2013 09:53 AM (IST)
घर की 'इज्जत' को घर में मिला 'सिंदूर'

मुजफ्फरनगर, [नीरज गुप्ता]। कवाल बेशक आज फिर चर्चाओं में है, लेकिन डरिए नहीं इस बार खबर नफरत या खून से सनी हुई नहीं, बल्कि इंसानी रिश्ते के फिर से दमक उठने की है। कवाल के बाद पूरे मुजफ्फरनगर में मचे बवाल में सचिन की विधवा स्वाति का दर्द और उसकी तनहाइयां खून-खराबे और सियासत के अंधे दावानल में शायद कहीं गुम हो गई थीं। सुकून इस बात का है कि अब स्वाति का दर्द बांटने और उसकी तनहाइयों का हमसफर बनने के लिए उसके सगे देवर राहुल ने उसका हाथ थाम लिया है।

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मुजफ्फरनगर दंगों की खास वजह रहे कवाल कांड में मारे गए सचिन व गौरव के परिजनों को सरकार ने राहत दी। इसके तहत सचिन की पत्नी स्वाति को नौकरी तो मिली, लेकिन इस उम्र में एक मासूम सी जान के साथ पहाड़ सी जिंदगी गुजारना भी बड़ी चुनौती थी। परिजन इस बात को लेकर फिक्रमंद थे कि घर की 'इज्जत' बाहर न जाए और सूनी मांग भी फिर सज जाए। आखिर, सहमति पर मुहर लग गई और सचिन की विधवा की सूनी मांग में देवर ने 'सिंदूर' भर दिया। इसी के साथ एक बार फिर स्वाति की नई जिंदगी के सफर का आगाज हो गया। इस कदम की समाज में चहुंओर प्रशंसा हो रही है।

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27 अगस्त की दोपहर छेड़छाड़ के आरोपी शहनवाज की हत्या के बाद मलिकपुरा निवासी सचिन और गौरव की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। मामला इतना गर्माया कि मुजफ्फरनगर और शामली भीषण दंगों की भेंट चढ़ महापंचायतों का दौर चला। किसी ने राजनीति चमकाई तो किसी ने बहन बेटी की 'इज्जत' से खिलवाड़ करने वालों को सबक सिखाने का एलान किया। इसके बाद जनपद में सांप्रदायिक हिंसा का दौर चला और देश-विदेश में मुजफ्फरनगर का नाम बदनाम हुआ। हर वक्त हरियाली की चादर ओढ़े रहने वाले मुजफ्फरनगर के खेत-खलियान खून से लाल हो गए। कई की मांग सूनी हो गई तो कुछ के कलेजे के टुकड़े नफरत की भंट्ठी में समा गए। धीरे-धीरे नफरत की आंधी थमी। सचिन के दो साल के पुत्र को इंतजार था तो बस पापा चॉकलेट लेकर घर आएंगे। उसकी मासूम आंखें पथरा गई। विधवा स्वाति के सामने जिंदगी का लंबा सफर अकेले तय करने की चुनौती थी। सरकार ने स्वाति को रुपये और जानसठ नजारत में नौकरी दी, लेकिन शायद ये सारी चीजें उसकी तनहाई के सामने बहुत छोटी थी। गौरव की बहन शैली को डायट में नौकरी मिल गई। इसके बाद भी दोनों परिवारों को स्वाति की चिंता सता रही थी। रिश्ते-नातेदारों से लेकर परिवार के लोग शोकमग्न होकर भी स्वाति के भविष्य की उधेड़बुन में थे। आखिर सभी की रजामंदी हुई कि मृतक सचिन के छोटे भाई राहुल के हाथ में स्वाति के दांपत्य की डोर सौंप दी जाए। विचार सभी को भा गया और भाभी स्वाति की सूनी मांग में राहुल ने 'सिंदूर' भरकर जन्म-जन्म के लिए जीवनसंगिनी बना लिया। दोनों अब कांटों भरी राह को भूलकर एक-दूजे का हाथ थाम कर जिंदगी की गुजर-बसर करने में लगे हैं। राहुल और स्वाति के इस कदम की समाज में भूरि-भूरि प्रशंसा हो रही है।

सचिन को सच्ची श्रद्धांजलि दी

सचिन के फूफा और गौरव के पिता रविंद्र चौधरी कहते हैं कि स्वाति का हाथ उसके देवर राहुल को सौंपना ही सच्ची श्रद्धांजलि थी। परिवार के हित में ऐसा ही था। घर बसाकर उसकी पहाड़ सी जिंदगी को सहारा दिया।

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स्वाति को नवजीवन की मंगलमय कामना के साथ भाजपा जल्द ही उपहार भेंट करेगी। इस बाबत राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह से बात हो गई है। प्रदेश सरकार को भी उसके पुनर्विवाह करने पर नियमानुसार सरकारी मदद देनी चाहिए। -लक्ष्मीकांत वाजपेयी, प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा

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