मुंडे-महाजन परिवार, हुआ हादसों का शिकार
करीब एक दशक पहले तक महाराष्ट्र के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक सुर्खियों में रहनेवाले महाजन-मुंडे परिवार के एक के बाद एक हदसों का शिकार होना पड़ा। 19
मुंबई, [ओम प्रकाश तिवारी]। करीब एक दशक पहले तक महाराष्ट्र के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक सुर्खियों में रहनेवाले महाजन-मुंडे परिवार के एक के बाद एक हादसों का शिकार होना पड़ा।
1980 में मुंबई में ही भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ था। उसके बाद भाजपा में पश्चिमी भारत से जो दो तेजतर्रार चेहरे उभरे उनमें एक थे महाराष्ट्र से प्रमोद महाजन एवं दूसरे गुजरात से नरेंद्र मोदी। बल्कि उस दौरान भाजपा की केंद्रीय राजनीति में महाजन की पकड़ मोदी से ज्यादा ही मानी जाती थी। छात्र जीवन से ही सामाजिक आंदोलनों में सक्रिय रहनेवाले प्रमोद महाजन एवं गोपीनाथ मुंडे आयु में भी लगभग समान थे। दोनों का जन्म आजादी के दो वर्ष बाद 1949 में हुआ था। अपनी युवावस्था में मुंडे-महाजन 1977 में और करीब आए, जब दोनों को आपातकाल के दौरान एक साथ नासिक जेल में बंद किया गया था। दोनों की दोस्ती तब रिश्तेदारी में बदल गई, जब ब्राह्मण होने के बावजूद महाजन ने अपनी बहन प्रज्ञा का विवाह पिछड़े वर्ग से आनेवाले गोपीनाथ मुंडे से कर दिया।
चूंकि महाराष्ट्र की राजनीति में ब्राह्मणों के उभरने की गुंजाइश कम रही है, इसलिए महाजन ने पिछड़े वर्ग के मुंडे को राज्य की राजनीति में सक्रिय किया और स्वयं भाजपा की केंद्रीय राजनीति में रम गए। उनके इस निर्णय से दोनों अपने-अपने क्षेत्र में प्रभाव जमाने में सफल हुए। महाजन ने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के रूप में अपनीपहचान पुख्ता की तो मुंडे ने 1980 से 2009 तक पांच बार विधायक रहते हुए राज्य की राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत की। 1991 से 1995 तक वह महाराष्ट्र विधानसभा में विरोधीदल के नेता रहे। फिर 1995 में बनी शिवसेना-भाजपा गठबंधन सरकार में वह राज्य के उपमुख्यमंत्री रहे। 2009 में पहली बार लोकसभा चुनाव जीतने के बावजूद उनकी वरिष्ठता को देखते हुए ही उन्हें लोकसभा में पार्टी के उपनेता और हाल के लोकसभा चुनाव में पुन: जीतने पर उन्हें ग्रामीण विकास मंत्री की जिम्मेदारी दी गई। महाराष्ट्र के आगामी विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा की ओर से से वह मुख्यमंत्री पद के भी सशक्त दावेदार थे।
लेकिन मुंडे-महाजन परिवार ने 1975 से 2005 के बीच जैसा उत्थान देखा, पिछले एक दशक में उसके पतन की कहानी भी बड़ी दर्दनाक रही है। 2005 में मुंबई में ही भारतीय जनता पार्टी की रजत जयंती मनाने के कुछ महीनों बाद ही प्रमोद महाजन को उनके सगे छोटे भाई प्रवीण महाजन ने 22 अप्रैल, 2006 की सुबह उनके घर जाकर गोली मार दी। 13 दिन तक उन्हें मुंबई के हिंदूजा अस्पताल में बचाने की कोशिश की गई लेकिन तीन मई, 2006 को उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। महाजन के निधन को ज्यादा दिन नहीं हुए थे कि उनके पुत्र राहुल महाजन एवं महाजन के सचिव रहे विवेक मैत्रा नशे का शिकार हो गए। राहुल को तो किसी तरह बचा लिया गया, लेकिन मैद्दा की जान चली गई। महाजन को गोली मारनेवाले उनके छोटे भाई प्रवीण को 2007 में मुंबई की एक अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई। लेकिन तीन साल जेल में रहने के बाद 2010 में प्रवीण की भी ब्रेन हेमरेज से मौत हो गई। प्रमोद, प्रवीण, विवेक मोइत्रा और अब मुंडे सबका निधन 3 तारीख को हुआ।
इधर मुंडे का परिवार भी एक नहीं रह सका। 2009 में स्वयं लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद उन्होंने अपनी विधानसभा सीट से अपनी बड़ी बेटी पंकजा को चुनाव लड़वाया। जबकि उसी सीट से मुंडे के भतीजे धनंजय चुनाव लड़ना चाहते थे। हालांकि मुंडे ने उन्हें विधान परिषद में भेजकर संतुष्ट करने का प्रयास किया, लेकिन उनकी नाराजगी दूर नहीं हुई। वह अपने पिता पंडितराव मुंडे के साथ शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में चले गए। करीब दो साल पहले महाराष्ट्र के दिग्गज कांग्रेसी नेता विलासराव देशमुख का निधन भी मुंडे के लिए बड़ा झटका था, क्योंकि अलग-अलग पार्टियों की राजनीति करने के बावजूद दोनों अच्छे मित्र थे। हालांकि हाल ही में प्रमोद महाजन की पुत्री पूनम लोकसभा चुनाव जीती हैं और मुंडे की पुत्री पंकजा भी विधायक हैं। लेकिन अब मुंडे की मौत से इन दोनों परिवारों को लगा झटका बर्दाश्त कर पाना दोनों परिवारों के लिए आसान नहीं होगा।
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कई जाने-माने नेताओं की भी हादसों में जानें गई हैं..
माधव राव सिंधिया
30 सितंबर 2001: उत्तर प्रदेश के मैनपुरी के पास विमान दुर्घटना में कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे माधव राव सिंधिया की मौत हो गई थी। विमान में सवार आठों लोग इस हादसे में मारे गए थे। उनके पिता ग्वालियर के अंतिम महाराज जिवाजी राव सिंधिया थे।
राजेश पायलट
11 जून 2000: सरकार में मंत्री रह चुके राजेश पायलट की मौत भी जयपुर के निकट सड़क दुर्घटना में हुई थी। राजेश पायलट इंडियन एयर फोर्स में पायलट भी रहे। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से उनकी खासी निकटता थी।
ज्ञानी जैल सिंह
25 दिसंबर 1994: भारत के सातवें राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह 29 नवंबर 1994 को सड़क दुर्घटना का शिकार हुए। यह दुर्घटना आनंदपुर साहिब जाते समय हुई। उसी वर्ष 25 दिसंबर 94 को हॉस्पिटल में उनका निधन हो गया।
संजय गांधी
23 जून 1980: पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के भाई संजय गांधी की हवाई दुर्घटना में मौत हो गई थी। उनका हवाई जहाज सफदरजंग एयरपोर्ट के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। पायलट के तौर पर प्रशिक्षित संजय गांधी उस वक्त खुद जहाज उड़ा रहे थे।
साहिब सिंह वर्मा
30 जून 2007: भारतीय जनता पार्टी के पूर्व वरिष्ठ उपाध्यक्ष और दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे साहिब सिंह वर्मा की जयपुर-दिल्ली हाइवे पर शाहजहांपुर में ट्रक से टकराने पर मौत हो गई थी।
वाईएसआर रेड्डी
02 सितंबर 2009 : आंध्र प्रदेश में कांग्रेस के कद्दावर नेता और राज्य के मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी का कन्नूर की रुद्रकोंडा पहाड़ियों के पास हेलिकॉप्टर हादसे में निधन हो गया था।
गंति मोहन चंद्र बालयोगी
3 मार्च 2002: पेशे से वकील और राजनीतिज्ञ गंति मोहन चंद्र बालयोगी आंध्रप्रदेश के कृष्णा जिले में हेलिकॉप्टर हादसे में मारे गए थे। 12वीं लोकसभा के स्पीकर गंति मोहन उस वक्त 50 वषर्ष के थे।
येरन नायडू
2 नवंबर, 2012 : पूर्व केंद्रीय मंत्री और तेलुगु देशम पार्टी के अध्यक्ष के येरन नायडू की आंध्रप्रदेश के श्रीकाकुलम में सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। उनकी कार को एक ऑयल टैंकर ने पीछे से टक्कर मार दी थी। वह विशाखापट्टनम में किसी विवाह समारोह से लौट रहे थे। गंभीर रूप से घायल नायडू को कृष्णा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस में भर्ती कराया गया, जहां दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई।
वी. राधाकृष्णन
26 अप्रैल 2010: राजनीतिज्ञ और 14वीं लोकसभा सदस्य वी. राधाकृष्णन की मॉर्निगवॉक के दौरान पीछे से आ रहे ट्रक की टक्कर से मौत हो गई थी। यह घटना 22 अप्रैल 2010 को हुई और 26 अप्रैल को अस्पताल में उन्होंने दम तोड़ दिया।
शोभा नागी रेड्डी
24 अप्रैल 2014: आंध्रप्रदेश के कुरनूल जिले से लगभग 112 किमी दूर अलागडा से पूर्व विधायक शोभा नेगी रेड्डी की मौत भी सड़क दुर्घटना में हुई। 23 अप्रैल 2014 को देर रात उनकी एसयूवी पलट गई। वह 2014 के विधानसभा चुनाव का प्रचार करके लौट रही थीं। इस हादसे में वह गंभीर रूप से घायल हुई और कुछ घंटों बाद उन्होंने हैदराबाद के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया।