खुदाई से पहले ही बनी ये फिल्म, इसमें तो मिल गया था खजाना
राजा राव रामबख्श सिंह के किले में सोने का खजाना है या नहीं, इस सच से तो पर्दा खुदाई पूरी होने के बाद ही उठेगा, लेकिन इसी थीम पर बनी फिल्म 'ड्रीम सेलफिश' में राजा की आत्मा जरूर खुश होकर सारा खजाना नायक को सौंप देती है और वह मालामाल हो जाता है।
शरद त्रिपाठी, कानपुर। राजा राव रामबख्श सिंह के किले में सोने का खजाना है या नहीं, इस सच से तो पर्दा खुदाई पूरी होने के बाद ही उठेगा, लेकिन इसी थीम पर बनी फिल्म 'ड्रीम सेलफिश' में राजा की आत्मा जरूर खुश होकर सारा खजाना नायक को सौंप देती है और वह मालामाल हो जाता है।
'एएसआइ को चट्टान के नीचे मिल गया खजाना'
डौंडियाखेड़ा और इस फिल्म का आपस में एक बड़ा संबंध है। इस फिल्म की शूटिंग डौंडिया खेड़ा में भी हुई थी। किले में अब तक कुछ भी न मिलने पर लोग अब खुदाई को फिल्म से भी जोड़कर देख रहे हैं। दिलचस्प यह है कि 27 अगस्त को फिल्म की शूटिंग पूरी हुई और कुछ दिन बाद ही तीन सितंबर को खजाने के दावे की चिट्ठी भारत सरकार को पहुंच गई। 133 मिनट की इस फिल्म को 31 अगस्त को मुंबई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शन के लिए रजिस्टर्ड कराया गया है। रजिस्ट्रेशन नंबर 0604 है।
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इस फिल्म की शूटिंग उन्नाव के डौंडिया खेड़ा, बदरका, कानपुर समेत 35 स्थानों पर की गई है। फिल्म की स्क्रिप्ट का आइडिया कुछ समय पहले उन्नाव में आई अमेरिका और लंदन की टीमों के दौरों ने दे दिया था। जुलाई में शुरू शूटिंग का काम अगस्त में जाकर पूरा हुआ।
उन्नाव: बाहर आ सकता है संत के दावे का सच!
फिल्म निर्माता गौरव शुक्ला कानपुर के ही है। उनका कहना है कि उन्नाव में कई स्थानों पर शूटिंग होते समय ग्रामीणों ने कहानी जानने की इच्छा जाहिर की थी और उन्हें बताया भी गया था। गौरव की माने, तो शायद शूटिंग को लेकर ही खजाने के संबंध में कोई भ्रम हुआ हो, क्योंकि शूटिंग का काम अगस्त में ही खत्म हुआ था और उसके बाद ही खजाने को लेकर बयान आने शुरू हो गए थे।
खजाने का तो पता नहीं, मिल रही हैं कंकड़ की चट्टानें
फिल्म की कहानी : फिल्म दो दोस्तों की कहानी है। एक बिजनेसमैन, दूसरा रिपोर्टर। फिल्म का रहस्य एक खंडहर है, जो एक राजा का महल होता है और उस राजा की आत्मा खजाने की देखरेख करती थी। खंडहर में एक दिन दोनों दोस्त शराब पीकर सो जाते हैं। रिपोर्टर के सपने में राजा की आत्मा आकर खजाने की बात बताती है। अखबारों में सुर्खियां बनती हैं, खंडहर पर खजाना खोदने के लिए आ जाती है। लेकिन अंत में राजा की आत्मा प्रसन्न होकर नायक उस रिपोर्टर को खजाना देती है।
फिल्म में अब तक
- 23 जुलाई 2013 से शूटिंग शुरू
- 27 अगस्त 2013 को शूटिंग पूरी
- 31 अगस्त को एमआइएफएफ में रजिस्ट्रेशन
- 10 अक्टूबर को फिल्म सेलेक्शन का संदेश मिला
- आगामी 3 फरवरी 2014 को नरीमन प्वांइट में 13 वें मुंबई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में इसका प्रदर्शन किया जाएगा।
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