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रास में विपक्ष पर बरसे मोदी, केंद्र के बारे में झूठे प्रचार की अनुमित नहीं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'कारपोरेट की सरकार' के विपक्ष के आरोपों को ध्वस्त करते हुए भूमि अधिग्रहण विधेयक को राज्यों और किसानों के हित में बताते राज्यसभा का समर्थन मांगा। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के जवाब में प्रधानमंत्री ने सरकार पर विपक्ष के आरोपों की एक-एक

By Test2 test2Edited By: Published: Wed, 04 Mar 2015 02:58 AM (IST)Updated: Wed, 04 Mar 2015 08:00 AM (IST)

नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'कारपोरेट की सरकार' के विपक्ष के आरोपों को ध्वस्त करते हुए भूमि अधिग्रहण विधेयक को राज्यों और किसानों के हित में बताते राज्यसभा का समर्थन मांगा। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के जवाब में प्रधानमंत्री ने सरकार पर विपक्ष के आरोपों की एक-एक कर बखिया उधेड़ी और कहा कि वह पिछली सरकारों को श्रेय देने से नहीं चूकेंगे, परंतु अपनी सरकार के बारे में मिथ्या प्रचार की अनुमति भी नहीं देंगे।

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लोकसभा की तरह मंगलवार को राज्यसभा में भी प्रधानमंत्री पूरी रौ में थे। तथ्यों के साथ आरोपों का जवाब देने के साथ विपक्ष की चुटकी भी उन्होंने बेमुरव्वत होकर ली। निशाने पर प्रमुख रूप से कांग्रेस और वामपंथी दल थे। भूमि अधिग्रहण विधेयक पर उन्होंने कहा यदि कोई बात किसानों के खिलाफ हो तो उसे ठीक करने को सरकार तैयार है। उन्होंने संप्रग के कानून को राज्यों के हित के विरुद्ध बताया। खाद्य सुरक्षा में गरीबों को कवरेज में कमी की चर्चा को भी उन्होंने दुष्प्रचार करार दिया।

कारपोरेट की सरकार नहीं :

कारपोरेट की सरकार के आरोपों का जबरदस्त प्रतिकार करते हुए मोदी ने सवाल किया कि क्या स्वच्छता अभियान, जन धन योजना, स्कूलों में टायलेट, पर ड्रॉप मोर क्रॉप, सभी को घर जैसी योजनाएं अमीरों के लिए है? दलितों व पिछड़ों को स्वरोजगार देने वाली साढ़े पांच करोड़ इकाइयों को कर्ज के लिए मुद्रा बैंक व डिजिटल इंडिया भी क्या कारपोरेट के लिए है? साथ ही बसपा की मायावती के एससी/एसटी व पिछड़ों को निजी क्षेत्र में आरक्षण की मांग का जवाब सामाजिक सुरक्षा के लिए बजट में घोषित दुर्घटना बीमा, जीवन बीमा, स्वास्थ्य बीमा और पेंशन योजनाओं का ब्योरा देकर दिया।

धारणा बदलें :

पीएम ने कहा, वक्त बदल गया है। जो लोग पुरानी धारणाओं के आधार पर मेरी सरकार को अल्पसंख्यकों, आदिवासियों व पिछड़ों का विरोधी बताते हैं उन्हें समझना चाहिए कि ज्यादातर उन्हीं राज्यों में भाजपा की अकेले या साझा सरकारें हैं, जहां अल्पसंख्यक, आदिवासी व पिछड़ों का बहुमत है। गोवा, नगालैंड, पंजाब, जम्मू-कश्मीर इसके उदाहरण हैं। लद्दाख से कन्याकुमारी और अरुणाचल से कच्छ तक हर जगह हमारा प्रतिनिधित्व है।

राज्यों को लाभ :

कोयला व खनिज ब्लाकों की नीलामी से प्राप्त होने वाली राशि आदिवासी बहुल राज्यों के लिए ही है। नमामि गंगे कार्यक्रम का मकसद उस 40 फीसद जनता का आर्थिक उत्थान है जो गंगा से जुड़ी है। राज्यों को ज्यादा पैसा मिलेगा तो वहां भी आर्थिक विकास होगा। विकास के बिना राज्यों की क्या हालत होती है पश्चिम बंगाल इसका उदाहरण है। वहां तीस सालों में उद्योग धंधे और खेती चौपट हो गई है।

संप्रग ने भी बदले नाम :

मोदी ने कहा कि संप्रग ने भी वाजपेयी सरकार की योजनाओं को नए नाम से चलाया। जैसे सूचना का स्वातंत्रय कानून को सूचना का अधिकार नाम से, अन्त्योदय योजना को खाद्य सुरक्षा कानून और अटल स्वर्ण जयंती योजना को राष्ट्रीय जीविकोपार्जन योजना के नाम से।

काला धन :

विदेशों से काला धन लाने का हमारा संकल्प है। इस संबंध में स्विट्जरलैंड, अमेरिका समेत कई देशों के साथ एमओयू कर रहे हैं। लेकिन अगर 2011 में ही एसआइटी गठित कर दी गई होती तो काम आसान होता।

विदेश नीति :

विश्व को भारत का महात्म्य समझाने की कोशिश कर रहे हैं। सभी देशों व पड़ोसियों से अच्छे संबंधों के पक्षधर हैं। नौ महीनों में मुसीबत के शिकार 12 हजार से ज्यादा हिंदुस्तानियों को वापस लाया गया है।

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