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माइकल ने तन्हा और दर्द में बिताए थे आखिरी दिन

मशहूर पॉप गायक माइकल जैक्सन एक उलझे हुए शख्स का नाम है, जिसने लाखों डॉलर दान में दे दिए। असमर्थ लोगों की मदद की और जिसका निजी जीवन हमेशा दर्द में गुजरा। जैक्सन के आखिरी दिनों में उनके साथ रहने वाले उनके दो अंगरक्षकों ने अपनी किताब में यह बात कही है। 25 जून, 2009 को बेहोशी की दवा प्रोपोफोल के अत्यधिक सेवन से जैक्सन की

By Edited By: Published: Mon, 16 Jun 2014 04:01 PM (IST)Updated: Mon, 16 Jun 2014 04:16 PM (IST)

नई दिल्ली। मशहूर पॉप गायक माइकल जैक्सन एक उलझे हुए शख्स का नाम है, जिसने लाखों डॉलर दान में दे दिए। असमर्थ लोगों की मदद की और जिसका निजी जीवन हमेशा दर्द में गुजरा। जैक्सन के आखिरी दिनों में उनके साथ रहने वाले उनके दो अंगरक्षकों ने अपनी किताब में यह बात कही है। 25 जून, 2009 को बेहोशी की दवा प्रोपोफोल के अत्यधिक सेवन से जैक्सन की मौत हो गई थी।

बिल ह्वाइटफील्ड व जेवोन बीयर्ड ने किताब 'रिबेंबर द टाइम : प्रोटेक्टिंग माइकल जैक्सन इन हिज फाइनल डेज' में कहा है कि हम चाहते हैं कि दुनिया माइकल जैक्सन के रूप में एक अच्छे इंसान व एक बेहतरीन पिता की झलक देखे, जिनके लिए काम करने का हमें मौका मिला।

तीन साल तक किंग ऑफ पॉप की सुरक्षा करने वाले ह्वाइटफील्ड ने लिखा है कि मिस्टर जैक्सन किसी पर भी भरोसा नहीं करते थे। वे थोड़े सनकी थे। ज्यादा नहीं सोते थे। सुबह तीन-चार बजे उठकर घर के चक्कर लगाने लगते थे। दरवाजों के तालों की जांच करते रहते थे। उनके पिता व भाई-बहनों को भी उनसे मिलने के लिए पहले समय लेना पड़ता था। मां कैथरीन जैक्सन को छोड़कर कोई भी बिना पूर्व सूचना के उनके घर दाखिल नहीं हो सकता था।

हार्पर कॉलिंस द्वारा प्रकाशित किताब में बियर्ड ने कहा कि मां व प्रशंसकों के खतों के अलावा जैक्सन ज्यादातर अपने बच्चों के साथ घर पर अकेले रहते थे। जैक्सन अपने बच्चों प्रिंस, पेरिस व ब्लैंकेट का पूरा ध्यान रखते थे और उन्हें मीडिया की चकाचौंध से दूर रखते थे। उन्होंने अपने बच्चों को घर में ही पढ़ाने की व्यवस्था कर रखी थी। बच्चों को घर से बाहर ले जाते समय वे उनका चेहरा मास्क या नकाब से ढंक देते थे।

व्हाइटफील्ड ने कहा कि कुछ अखबारों ने इसे पागलपन कहा था। लेकिन वे कभी इन सबके पीछे के कारणों को नहीं समझ सके। दरअसल, अगर लोगों को पता चल जाता कि वे जैक्सन के बच्चे हैं तो वे कभी अपनी जिंदगी सामान्य बच्चों की तरह नहीं बिता पाते।

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