आईएस ट्विटर कांड : खुली खुफिया एजेंसियों की पोल
पिछले पांच सालों से आइएस (इस्लामिक स्टेट) का ट्विटर एकाउंट चलाते मेहदी मसरूर विश्वास को ढूंढ पाने की विफलता ने देश की खुफिया एजेंसियों की पोल खोल दी है। अब अपनी नाकामी का ठीकरा ये एजेंसियां एक-दूसरे पर फोडऩे में जुट गई हैं। जहां खुफिया ब्यूरो (आइबी) इसके लिए एनटीआरओ
नई दिल्ली, [नीलू रंजन]। पिछले पांच सालों से आइएस (इस्लामिक स्टेट) का ट्विटर एकाउंट चलाते मेहदी मसरूर विश्वास को ढूंढ पाने की विफलता ने देश की खुफिया एजेंसियों की पोल खोल दी है। अब अपनी नाकामी का ठीकरा ये एजेंसियां एक-दूसरे पर फोडऩे में जुट गई हैं।
जहां खुफिया ब्यूरो (आइबी) इसके लिए एनटीआरओ (नेशनल टेक्नीकल रिचर्स ऑर्गेनाइजेशन) को जिम्मेदार ठहरा रहा है, वहीं एनटीआरओ का कहना है कि यह काम आइबी और राज्य खुफिया एजेंसियों का था। मेहदी के खुलासे से जागी सरकार अब ऑनलाइन आतंकी गतिविधियों की निगरानी के लिए अलग एजेंसी और पॉलिसी बनाने पर विचार कर रही है।
खुफिया अधिकारी भी फॉलो करते थे ट्विटर एकाउंट
हैरानी की बात है कि आतंकी गतिविधियों पर नजर रखने वाली खुफिया एजेंसियों के अधिकारी लंबे समय मेहदी के शामी विटनेस नाम के ट्विटर एकाउंट को फॉलो कर रहे थे। इसके बाद भी उन्होंने यह जानने की जहमत नहीं उठाई कि इसे भारत में बैठा कोई व्यक्ति चला रहा होगा।
मैक में होती रही चर्चा, किसी ने नहीं की जानने की कोशिश
यहां तक कि मल्टी एजेंसी सेंटर (मैक), जहां सभी एजेंसियों के अधिकारी हर दिन आतंकी सूचनाओं का आदान-प्रदान करते हैं, उसमें भी शामी विटनेस की चर्चा होती थी लेकिन किसी ने शामी विटनेस की तह तक जाने की कोशिश नहीं की। इस संबंध में पूछे जाने पर आइबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि टेक्निकल मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी एनटीआरओ की है। जवाब में एनटीआरओ के अधिकारी इन आरोपों को खारिज करते हुए कहते हैं कि यह काम आइबी और स्थानीय खुफिया एजेंसियों का है।
आतंकी गतिविधियों की निगरानी किसी खास एजेंसी के पास नहीं
इस संबंध में गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने माना कि आतंकी गतिविधियों की निगरानी की जिम्मेदारी किसी खास एजेंसी को नहीं सौंपी गई है। यही नहीं, भारत में ऑनलाइन मानिटरिंग की कोई पॉलिसी तक नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार ऑनलाइन मॉनिटरिंग की पॉलिसी तैयार कर रही है और जल्द ही इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
ऑन लाइन निगरानी के लिए बनेगी अलग एजेंसी
पॉलिसी बन जाने के बाद इसके लिए आइबी या एनटीआरओ या रॉ के अधीन एक अलग से एजेंसी बनाई जाएगी, जो दिन-प्रतिदिन ऑनलाइन आतंकी गतिविधियों पर नजर रखेगा और उनकी पड़ताल करेगा।
दरअसल ब्रिटिश चैनल4 के खुलासे से सकते में आई एजेंसियों ने सबसे पहले तो मेहदी के वजूद पर ही सवाल उठाया और एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वह बेंगलुरू का नहीं भी हो सकता है।
अधिकारियों से देते नहीं बन रहा जवाब
बाद में बेंगलुरू में उसकी गिरफ्तारी के बाद उक्त अधिकारी ने कहना शुरू कर दिया कि मेहदी और उसके ट्विटर एकाउंट के बारे में एजेंसियों को पहले से जानकारी थी, लेकिन आतंकी गतिविधियों में सीधी भागीदारी नहीं होने के कारण उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही थी। यही नहीं, उन्होंने दावा किया कि मेहदी की तरह दो और लोगों के आतंकी ट्विटर एकाउंट चल रहे हैं। उनके पास इस सवाल का कोई जबाव नहीं था कि चैनल4 के खुलासे के बाद बिना सबूतों के मेहदी की गिरफ्तारी कैसे हो गई और केंद्रीय एजेंसियां उससे क्यों पूछताछ कर रही हैं।
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