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माल्या ने दिखाए तेवर, कहा-विदेशी संपत्तियों पर नजर उठाकर न देखें

देश में भले ही सरकार पासपोर्ट निलंबित कर चुकी हो, तमाम बैंक संपत्तियों को जब्त करने का अभियान चला रहे हों, तमाम जांच एजेंसियां पीछे पड़ी हों लेकिन इन सबका उद्योगपति विजय माल्या पर कोई असर नहीं दिख रहा।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Fri, 22 Apr 2016 03:20 AM (IST)Updated: Fri, 22 Apr 2016 07:32 AM (IST)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । देश में भले ही सरकार पासपोर्ट निलंबित कर चुकी हो, तमाम बैंक संपत्तियों को जब्त करने का अभियान चला रहे हों, तमाम जांच एजेंसियां पीछे पड़ी हों लेकिन इन सबका उद्योगपति विजय माल्या पर कोई असर नहीं दिख रहा। कुछ महीने पहले तक दुनिया की सबसे बड़ी शराब कंपनी चलाने वाले माल्या अब तेवर दिखाने लगे हैं और अपनी डूब चुकी कंपनी का दोष सरकारी बैंकों के साथ केंद्र व राज्य सरकारों पर मढ़ रहे हैं। साथ ही परोक्ष तौर पर उन्होंने बैंकों को यह भी इशारा कर दिया है कि विदेश में जो संपत्ति उन्होंने बनाई है उसकी तरफ वह नजर उठाकर न देखें।

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सुप्रीम कोर्ट में माल्या की तरफ से कर्ज वसूली मामले में भारतीय स्टेट बैंक की तरफ से दायरे मामले का जवाब दिया गया। माल्या ने एक तरह से केस स्टडी दी है कि किस तरह से विजय माल्या ने किंगफिशर एयरलाइंस शुरू की। उसे आगे बढ़ाने में क्या किया और किस तरह से वैश्विक मंदी और सरकारी लापरवाही से यह बंद हुआ। किस तरह से बैंकों ने जब उन्हें कर्ज देने का फैसला किया तो उसमें विदेशों में उनकी परिसंपत्तियों का कोई लेखा-जोखा नहीं रखा था। ऐसे में बैंकों के पास इस बात का कोई अधिकार नहीं है कि वे उनकी विदेशी परिसंपत्तियों पर नजर डालें। माल्या ने किंगफिशर एयरलाइंस के लिए अपनी जिन परिसंपत्तियों को बंधक रखा उसकी पूरी जानकारी कोर्ट को दी है लेकिन विदेशी परिसंपत्तियों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है।

माल्या सरकार की तरफ से पासपोर्ट रद्द करने, गैर जमानती वारंट जारी करने जैसे तमाम कदमों को मीडिया ट्रायल की वजह से बताया है और कहा है कि यह गलत व दुर्भाग्यपूर्ण है। किंगफिशर एयरलाइंस प्रबंधन की वजह से नहीं बल्कि उन हालात की वजह से असफल हुई है जिस पर उसका कोई नियंत्रण नहीं था। वह यह भी नहीं मान रहे कि इस वजह से ही राष्ट्रीय हानि हुई है। यही नहीं उन्होंने सरकारी एयरलाइंस एयर इंडिया से किंगफिशर एयरलाइंस की तुलना करते हुए यह कहा है कि किस तरह से बैंक उनके साथ दुर्भावना से काम कर रहे हैं। एयर इंडिया पर 40 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है और यह सबसे बड़े एनपीए खाता में शामिल है। लेकिन बैंक उससे कर्ज वसूली की कोशिश नहीं कर रहे। उल्टा अलग से वित्तीय मदद दी जा रही है। किंगफिशर एयरलाइंस से बड़े कर्जदार हैं जिन्हें बैंक नए सिरे से कर्ज चुकाने का समय दे रहे हैं।

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