एनआरआइ शादी के लिए अनिवार्य बनाएं आधार
शादी के बाद छोड़ने और अन्य वैवाहिक मामलों से निपटने में मिलेगी मदद...
नई दिल्ली, प्रेट्र : शादी के बाद छोड़ने और अन्य वैवाहिक मामलों से निपटने के लिए एक विशेषज्ञ समिति ने देश में अप्रवासियों की शादी के लिए आधार को अनिवार्य करने की सिफारिश की है। विदेश मंत्रालय की अंतर मंत्रालयी समिति ने 30 अगस्त को इस मामले में अपनी रिपोर्ट सौंपी है।
भारतीय पासपोर्टधारकों द्वारा भारत में शादी कर छोड़ देने के मामले में विशेषज्ञ समिति का सुझाव महिलाओं के अधिकार या विदेश में उनके साथ घरेलू हिंसा और दहेज प्रताड़ना से रक्षा के लिए है। एक सूत्र ने बताया कि इसीलिए एनआरआइ शादी के रजिस्ट्रेशन में आधार अनिवार्य करने का सुझाव दिया गया है। आधार कार्ड की नोडल एजेंसी यूआइडीएआइ विदेश में रहने वाले भारतीय नागरिक और एनआरआइ के आधार नामांकन की योजना पर काम कर रही है। मौजूदा समय में भारतीय नागरिक और वैध वीजा वाले विदेशी समेत सभी निवासी आधार के नामांकन करा सकते हैं।
समिति ने विभिन्न देशों के साथ भारत की प्रत्यर्पण संधि में संशोधन की भी सिफारिश की है। इसमें आरोपी की गिरफ्तारी की मांग के लिए घरेलू हिंसा को कारण के तौर पर शामिल करने को कहा है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, एनआरआइ शादी में आरोपी का पता लगाना अक्सर मुश्किल होता है। समिति ने राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) को ऐसी शादियों से होने वाले विवाद के मामलों को देखने के लिए नोडल अथारिटी बनाने का भी सुझाव दिया है। इसके अलावा विदेश, गृह और महिला एवं बाल विकास मंत्रालयों के अधिकारियों का एक दल बनाने की बात कही है। इस दल को 10-15 देशों में तैनात किया जाए जहां ऐसे मामले होते हैं। एनआरआइ शादी को लेकर पिछले वर्ष सेवानिवृत्त जज अरविंद गोयल की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था। राष्ट्रीय महिला आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, 2005 से 2012 बीच एनआरआइ सेल में ऐसी शादियों को लेकर 1300 मामले दर्ज कराए गए।
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