काले धन पर अंकुश लगाने के लिए बेनामी विधेयक लोकसभा से पारित
काले धन पर अंकुश लगाने के मकसद से लोकसभा में बेनामी लेन-देन संशोधन विधेेयक पारित कर दिया गया।
जागरण ब्यूरो, नई। काले धन पर अंकुश लगाने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए लोकसभा ने बुधवार को बेनामी लेन-देन संशोधन विधेयक पारित कर दिया। इस विधेयक के कानून का रूप लेने पर बेनामी सौदों पर रोक लग सकेगी जिससे देश में काले धन पर नियंत्रण लग सकेगा। इस बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आश्वस्त किया है कि वास्तविक धार्मिक ट्रस्टों को इस कानून के प्रावधानों से बाहर रखा जाएगा।
बेनामी लेन-देन संशोधन विधेयक 2015 को सभा में चर्चा और पारित होने के लिए रखते हुए जेटली ने कहा कि यह विधेयक मुख्य तौर पर काले धन पर अंकुश लगाने के इरादे से लाया गया है। इसका मकसद बेनामी संपत्ति पर कब्जा करना तथा इस तरह के सौदों में लिप्त रहने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करना है। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में लोग फर्जी लोगों के नाम से बेनामी संपत्ति खरीदते हैं। इसलिए इस तरह के लेन-देन पर रोक लगाने की जरूरत है। अब यह विधेयक राज्यसभा में पेश होगा।
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बेनामी विधेयक पर चर्चा के दौरान कुछ सदस्यों ने धार्मिक ट्रस्टों की संपत्ति के संबंध में चिंता जतायी। उन्होंने कहा कि पवित्र देवी-देवताओं के नाम पर जो संपत्ति है, क्या उस पर भी यह कानून लागू होगा। जेटली ने इसके जवाब में कहा कि सरकार वास्तविक संगठनों को इस विधेयक के प्रावधानों से बाहर कर देगी। जेटली ने कहा कि इस कानून की धारा 58 में स्पष्ट उल्लेख है कि सरकार को धार्मिक और चैरिटेबल संगठनों की संपत्ति को इससे छूट देने की शक्ति है।
जेटली ने कहा कि अगर किसी मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा या मंदिर की वास्तविक संपत्ति है तो धारा 58 के तहत सरकार उसे छूट दे सकती है। हालांकि उन्होंने आगाह किया कि इस तरह की संस्थाओं के नाम पर छूट का इस्तेमाल कर चोरी के लिए नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि अगर आप इस तरह की संपत्ति से कोई अवैध व्यवसाय करते हैं या कोई फर्जी पंथ बनाकर बेनामी संपत्ति रखते हैं तो सरकार इसे छूट नहीं देगी। इसलिए ऐसा नहीं करना चाहिए। जब कुछ सदस्यों ने कहा कि सरकार 1988 के कानून में संशोधन की जगह नया कानून लेकर क्यों नहीं आई तो वित्त मंत्री ने कहा कि ऐसा करने पर वे लोग बच निकलते जिन्होंने 1988 से 2016 के बीच संपत्ति खरीदी है।