डिब्बे में बंद पड़ा है एलसी गेट वार्निंग सिस्टम
भारतीय रेलवे यदि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर में तैयार एलसी गेट वार्निंग सिस्टम को अपना ले तो मानव रहित क्रासिंग पर होने वाली दुघर्टनाएं रोकी जा सकती हैं। आईआईटी विशेष डिवाइस रेलवे को सौंप चुका है फिर भी उसे लागू नहीं किया जा रहा है। देश भर में हजारों किलोमीटर लंबे रेलवे ट्रैक पर सैकड़
लखनऊ। भारतीय रेलवे यदि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) कानपुर में तैयार एलसी गेट वार्निंग सिस्टम को अपना ले तो मानव रहित क्रासिंग पर होने वाली दुघर्टनाएं रोकी जा सकती हैं। आईआईटी विशेष डिवाइस रेलवे को सौंप चुका है फिर भी उसे लागू नहीं किया जा रहा है।
देश भर में हजारों किलोमीटर लंबे रेलवे ट्रैक पर सैकड़ों मानव रहित क्रासिंग हैं जहां हर साल दुघर्टनाओं में जान माल का भारी नुकसान होता है। रेलवे ने आईआईटी को मानव रहित रेलवे क्रासिंग से रेल गुजरने के पहले तेज हूटर बजाने वाली तकनीक एलसी गेट वार्निंग सिस्टम तैयार करने के लिए 30 लाख रुपये का प्रोजेक्ट सौंपा था। करीब सवा साल पहले लखनऊ व कानपुर रेल मार्ग पर कुसुंभी तथा सोनिक रेलवे स्टेशन के बीच की मानव रहित रेलवे क्रासिंग (30 सी 2 ई) पर तकनीक का परीक्षण हुआ। यहां से प्रतिदिन 90 ट्रेन गुजरती हैं।
शोध से जुड़े आइआइटी के प्रिंसिपल साफ्टवेयर इंजीनियर बीएम शुक्ला बताते हैं कि परीक्षण में तकनीक पूरी तरह से खरी उतरी। उसे आरडीएसओ के माध्यम से रेलवे को सौंपा जा चुका है। तकनीक पर तवज्जो दी गयी होती तो इतने मासूमों की जान बच सकती थी। शुक्ला की माने तो दिसंबर-11 में एटा के दरियागंज व पटियाली के बीच की क्रासिंग पर ट्रेन व बस की टक्कर सें 38 लोग मारे गये थे तब रेलवे ने तकनीक को तेजी से तैयार करने को कहा था। अब तकनीक सौंप दी गयी है तो वह खामोश है।
ऐसे काम करती है तकनीक
ट्रेन के क्रासिंग के दो किलोमीटर दूरी पर आने से ही संकेत मिलने लगेंगे और सिग्नल लाल हो जायेगा। क्रासिंग से 700 से हजार मीटर पहले ट्रेन आते ही तेज हूटर बजना शुरू हो जायेगा। क्रासिंग पार कर ट्रेन के सौ मीटर जाने पर हूटर स्वयं बंद हो जायेगा। ट्रेन के 500 मीटर दूर चले जाने पर सिग्नल का रंग पीला हो जायेगा। दोहरी लाइन में दोनों ओर से ट्रेनों के आने पर भी ऐसा ही होगा।
रेलवे बजट में भी है संकेत
एलसी गेट वार्निंग सिस्टम सिमरन तकनीक से लैस ट्रेनों के लिए विशेष प्रभावी है। महत्वपूर्ण है रेलवे के बजट में पेज नंबर 18 पर रियल टाइम ट्रेन ट्रेकिंग सिस्टम लागू करने की जो घोषणा की गयी है, वह सिमरन तकनीक से ही संभव है। वैज्ञानिक कहते हैं कि यदि सिमरन को तत्काल अपना लिया जाए तो कुछ माह के भीतर ही देश भर में ऐसी दर्दनाक दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है।