धमाकों के बावजूद रैली करने पर खुर्शीद ने उठाए सवाल
धमाकों के बावजूद भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी का रविवार को पटना में रैली को संबोधित करना और फिर विस्फोट का जिक्र न करना केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद को पसंद नहीं आया है। खुर्शीद ने कहा कि मोदी धमाकों के बारे में कुछ नहीं बोले क्योंकि यह उनकी स्क्रिप्ट में नहीं था।
नई दिल्ली। धमाकों के बावजूद भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी का रविवार को पटना में रैली को संबोधित करना और फिर विस्फोट का जिक्र न करना केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद को पसंद नहीं आया है। खुर्शीद ने कहा कि मोदी धमाकों के बारे में कुछ नहीं बोले क्योंकि यह उनकी स्क्रिप्ट में नहीं था।
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केंद्रीय मंत्री का यह बयान ऐसे समय आया है, जब मोदी द्वारा रैली संबोधित करने की हर ओर तारीफ हो रही है। उन्होंने धमाकों के बाद गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे के एक बॉलीवुड फिल्म के म्यूजिक रिलीज कार्यक्रम में होने का भी बचाव किया है।
मोदी के रैली को संबोधित करने की आलोचना करते हुए केंद्रीय विदेश मंत्री ने कहा, 'जब इस तरह की कोई घटना घटती है तो आपको उसी स्थिति में उसे (रैली को) छोड़ देना चाहिए था। क्या रैली निलंबित या छोड़ी नहीं चाहिए थी।' उन्होंने कहा, 'क्या आपको पीड़ितों के पास नहीं जाना चाहिए था? क्या आपको उनका हाल नहीं जानना चाहिए था? वह अपना भाषण जारी रखते हैं। बहुत ही दुखदायी.. बहुत ही दुखदायी।'
मोदी के संयम-साहस की तारीफ
जागरण ब्यूरो, पटना हुंकार रैली में बम धमाकों के बावजूद जिस तरह भाजपा नेता यही कहते रहे कि जोश में पटाखे न चलाएं और टायर फटने की चिंता न करें उसी तरह मोदी ने भी इन विस्फोटों पर एक शब्द भी नहीं कहा। इसके बजाय उन्होंने रैली का समापन करने से पहले कहा, किसी भी हालत में शांति पर चोट नहीं करनी है। आप सब शांति बनाए रखें। सुरक्षित घर पहुंचें। इतना ही नहीं उन्होंने रविवार देर रात अपने अंतिम ट्वीट में कहा, मैं फिर से बिहार के अपने बहनों एवं भाइयों को नमन करता हूं। उनसे शांति और सद्भावना कायम रखने की अपील करता हूं। बताते हैं कि वे तभी सोए जब उन्हें इत्मीनान हो गया कि अब सब कुछ नियंत्रण में है।
रविवार को पटना हवाई अड्डे पर उतरने के तत्काल बाद ही मोदी को इसकी जानकारी दे दी गई थी कि रैली में विस्फोट हुए हैं। सुरक्षा कारणों से एक मजबूत सलाह यह भी थी कि वे रैली में शामिल हुए बगैर वापस लौट जाएं, लेकिन उन्होंने इस सुझाव को खारिज कर दिया। उनका तर्क था कि उनके रैली में न जाने से लोग उत्तेजित हो सकते हैं और ऐसे में कुछ भी हो सकता है। मोदी ने खतरा मोल लेते हुए रैली में जाने का निश्चय किया। आम जनता के साथ राजनीतिक विश्लेषकों ने भी मोदी के संयम और साहस के साथ ही भाजपा के उन नेताओं की भी तारीफ की है जो विस्फोट के दौरान मंच से भीड़ को यह समझाने में लगे रहे कि मोदी के आगमन की खुशी में पटाखे फोड़े जा रहे हैं। मंच से कई बार कहा गया कि पटाखे न फोड़े जाएं। विस्फोट की एक आवाज तो इस भ्रम में डूब गई कि लगता है कहीं टायर फटा है। हालांकि बम विस्फोटों में छह लोग मारे गए और सौ घायल हो गए, लेकिन सभी इस पर संतोष जता रहे हैं कि विस्फोटों के चलते भगदड़ नहीं मची। अगर ऐसा होता तो यह अकल्पनीय त्रासदी हो सकती थी।
अभी 44 का चल रहा इलाज
गांधी मैदान में रविवार को हुए बम धमाकों में घायल हुए लोगों में से अभी 44 का इलाज जारी है। जबकि करीब पांच घायलों की हालत गंभीर बताई जाती है। इसके अलावा मसौढ़ी के कश्मीरगंज निवासी मंसूर आलम के पुत्र समर आलम को दिल्ली एम्स भेजा गया है।
'मोदी पाठ' पर संकट में आए कवि, धक्का-मुक्की
जागरण संवाददाता, जयपुर। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की तारीफों के चलते एक कवि सम्मेलन में वाहवाही की जगह श्रोता तू-तू मैं-मैं पर उतर आए। नौबत धक्का-मुक्की तक पहुंच गई और मोदी पर कसीदे गढ़ने वाला कवि मुसीबत में पड़ गया। विरोध के बीच आनन-फानन में आयोजकों ने कवि को वहां से हटाया।
मामला उदयपुर में रविवार को नगर निगम द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन का है। काव्यपाठ के दौरान हंगामा तब खड़ा हुआ, जब कवि अब्दुल गफ्फान ने मोदी की तारीफ में कविता पाठ शुरू किया। कांग्रेस पार्षदों ने इसका विरोध किया और नारेबाजी के बाद कांग्रेस और भाजपा नेताओं के बीच धक्का-मुक्की शुरू हो गई। उल्लेखनीय है कि चुनाव की घोषणा के बाद किसी भी सार्वजनिक कार्यक्रम में उम्मीदवार के पक्ष में बयान आचार संहिता का उल्लंघन माना जाता है। इस मामले में निगम ने सफाई दी है कि कवि सम्मेलन पूरी तरह से निजी आयोजकों की पेशकश थी। बताते हैं कि अब्दुल गफ्फान ने सबसे पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर निशाना साधते हुए काव्य पाठ किया। इस पर वहां मौजूद भाजपा पार्षदों ने जमकर तारीफ की। इस बीच, श्रोताओं ने मोदी पर कुछ बोलने की फरमाइश की। जब गफ्फार मोदी की प्रशंसा में कविता पढ़ने लगे तो कांग्रेस पार्षदों ने पुरजोर विरोध किया।
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