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परिवहन विभाग में बदलाव में बाधक बन रहे थे अशोक खेमका

हरियाणा सरकार ओवरलोड वाहनों मुख्य रूप से डंपर को लेकर नीति बनाने की कोशिश में थी, लेकिन आइएएस अशोक खेमका परिवहन विभाग के आयुक्त के नाते सरकार की इस योजना में बाधा बने हुए थे। सीएम आफिस से इस संबंध में भेजी गई फाइल पर खेमका के हस्ताक्षर नहीं होने

By Sanjay BhardwajEdited By: Published: Fri, 03 Apr 2015 12:10 AM (IST)Updated: Fri, 03 Apr 2015 02:30 AM (IST)

चंडीगढ़ [जागरण ब्यूरो]। हरियाणा सरकार ओवरलोड वाहनों मुख्य रूप से डंपर को लेकर नीति बनाने की कोशिश में थी, लेकिन आइएएस अशोक खेमका परिवहन विभाग के आयुक्त के नाते सरकार की इस योजना में बाधा बने हुए थे। सीएम आफिस से इस संबंध में भेजी गई फाइल पर खेमका के हस्ताक्षर नहीं होने के कारण यह मामला लटका हुआ था।

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राजस्थान सहित कई राज्यों की तर्ज पर ओवरलोड वाहनों पर बार-बार जुर्माना लगाने की जगह महीने में एकमुश्त फीस लेने की योजना पर सरकार काम कर रही थी। इसका एक प्रस्ताव परिवहन आयुक्त एवं सचिव के रूप में अशोक खेमका के पास भी पहुंचा। सूत्रों का कहना है कि ओवरलोड वाहनों पर एकमुश्त जुर्माने की फाइल पर खेमका ने हस्ताक्षर नहीं किए थे। सरकार को यह नागवार लग रहा था।

दो साल से कम समय में नहीं हो सकता तबादला

हरियाणा में आइएएस अधिकारियों का तबादला सामान्य परिस्थितियों में दो साल से पहले नहीं हो सकता। बकायदा इसके लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सिविल सर्विस बोर्ड गठित है। इसके बावजूद अधिकारियों की ट्रांसफर में राजनीति हावी है। बोर्ड भी किसी अफसर को सामान्य परिस्थितियों में दो साल से कम में नहीं हटा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बीते वर्ष 4 फरवरी को केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को बोर्ड गठित करने के लिए एडवाइजरी जारी की थी। हरियाणा सिविल सर्विस बोर्ड बनाने वाला देश का पहला राज्य बना था। इसमें मुख्य सचिव व अन्य सदस्यों के अलावा अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह व डीजीपी को भी शामिल किया जाना है।

तबादले के लिए विशेष परिस्थितियों और कारण के बारे में बोर्ड लिखित में कारण तलब कर सकता है। तबादले का कारण संबंधित अधिकारी भी जान सकेगा।

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