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नई औद्योगिक नीति भरेगी कश्मीर के घाव

केंद्रीय वाणिज्यमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा- 'नीति आयोग और डीआइपीपी मिलकर एक ऐसी नीति तैयार कर रही है जो इन पहाड़ी राज्यों के हित मे होगा।'

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Thu, 27 Apr 2017 06:19 AM (IST)Updated: Thu, 27 Apr 2017 06:19 AM (IST)
नई औद्योगिक नीति भरेगी कश्मीर के घाव
नई औद्योगिक नीति भरेगी कश्मीर के घाव

आशुतोष झा, नई दिल्ली। कराह रहे कश्मीर में गुमराह हो रहे युवाओं को साधने की कोशिश अब और तेज होगी। केंद्र सरकार ने यह तय कर लिया है कि प्रदेश में जाने वाले उद्योग व निवेश को सीधे तौर पर युवाओं के रोजगार से जोड़ा जाए और ऐसा माहौल तैयार हो जिसमें निर्यात की संभावनाएं बढ़ें। जम्मू-कश्मीर समेत दूसरे पहाड़ी राज्यों के लिए इस नई औद्योगिक नीति की घोषणा हो सकती है जिसमें रोजगार सृजन को सीधे तौर पर नीति का हिस्सा बनाया जाएगा। यह पहली बार होगा।

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कुछ दिन पूर्व नीति आयोग की बैठक में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अलग अलग राज्यों में पढ़ रहे कश्मीरी युवाओं को लेकर मुख्यमंत्रियों को संवेदनशील होने का सुझाव दिया था। उन्होंने लगातार संवाद बनाने की बात कही थी। इस बैठक के बाद ही जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने तीन महीने में स्थिति सामान्य होने का दावा भी किया था। दावों की स्थिति जो भी हो, केंद्र सरकार उन युवाओं को सीधे रोजगार से जोड़कर अलगाववादियों को अलग थलग करना चाहती है जो उन्हें मोहरा बना रहे हैं। यह सार्वजनिक है कि पैसे का लोभ देकर युवाओं को पत्थरबाजी जैसी घटनाओं के लिए बरगलाया जाता है।

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केंद्रीय वाणिज्यमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा- 'नीति आयोग और डीआइपीपी मिलकर एक ऐसी नीति तैयार कर रही है जो इन पहाड़ी राज्यों के हित मे होगा।' बताते हैं कि इन क्षेत्रों में जाने वाले उद्योगों को मिलने वाली छूट रोजगार सृजन से जुड़ी होगी। यानी संबंधित उद्योग अगर ज्यादा रोजगार देगा तो उसे छूट भी ज्यादा मिलेगी। इसके लिए वाणिज्य मंत्रालय ने कुछ पहाड़ी राज्यों पर निर्यातक संघों के संगठन फियो से भी काम करने को कहा है। इन राज्यों में पूर्वोत्तर के राज्य भी शामिल हैं।

गौरतलब है कि यह सोच काफी

पहले उभरी थी। प्रधानमंत्री के निर्देश पर सभी मंत्रालयों के सचिवों को निर्देश दिया गया था कि निवेश का प्रस्ताव तैयार करते वक्त यह भी ख्याल रखें कि उससे कितना रोजगार पैदा होगा। उसमें स्थानीय कच्चे माल की खपत कितनी होगी। इसके लिए सभी मंत्रालयों को ताकीद की गई है कि कैबिनेट में निवेश प्रस्ताव भेजने से पहले कैबिनेट नोट में ही इस बात का ब्यौरा शामिल करें कि उक्त परियोजना से कितनी नौकरियां उपलब्ध होंगी।

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सरकार का फोकस पहाड़ी राज्यों पर इसलिए भी है क्योंकि अभी तक इन राज्यों को केंद्र से विशेष सहायता मिलती थी। विशेष राज्य के तौर पर मिलने वाली इस सहायता को इस वर्ष के बजट से समाप्त कर दिया गया है। लिहाजा सरकार ने पहाड़ी राज्यों में औद्योगिक गतिविधियों और रोजगार उपलब्ध कराने को प्रोत्साहन देने के लिए नए सिरे से नीति तैयार की है।


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