श्री श्री रविशंकर के खिलाफ एनजीटी में अवमानना याचिका दाखिल
यमुना किनारे सांस्कृतिक समारोह आयोजित करने की अनुमति केंद्र सरकार के साथ ट्रिब्यूनल ने ही प्रदान की थी।
नई दिल्ली, प्रेट्र। आर्ट आफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर के खिलाफ एनजीटी में अवमानना याचिका दायर की गई है। गुरुवार को ट्रिब्यूनल के मुखिया जस्टिस स्वतंत्र कुमार इसकी सुनवाई करेंगे। याचिका पर्यावरण कार्यकर्ता मनोज मिश्रा की तरफ से दायर की गई, जिसमें कहा गया है कि श्री श्री का वक्तव्य एनजीटी के अस्तित्व पर सवाल खड़े कर रहा है।
यह निष्पक्ष न्याय प्रक्रिया को प्रभावित करने जैसा है। गौरतलब है कि आर्ट आफ लिविंग की वेबसाइट पर लिखा गया था कि यमुना किनारे सांस्कृतिक समारोह आयोजित करने की अनुमति केंद्र सरकार के साथ ट्रिब्यूनल ने ही प्रदान की थी। अगर उन्हें यमुना के उद्धार की इतनी ही चिंता थी तो अनुमति दी क्यों गई। इस पोस्ट पर एनजीटी प्रमुख जस्टिस स्वतंत्र कुमार ने हैरत जताई थी। बीस अप्रैल को हुई सुनवाई के दौरान यमुना के नुकसान के आकलन को बनाई कमेटी की रिपोर्ट ट्रिब्यूनल में रखी गई थी, जिसमें कहा गया है कि आर्ट आफ लिविंग की गैर जिम्मेदारी की वजह से यमुना को पहले की स्थिति में लाने के लिए 42.02 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे।
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उधर, आर्ट आफ लिविंग के हवाले से कहा गया कि जुर्माना वसूल करना है तो केंद्र से करो या फिर इसे एनजीटी खुद अदा करे। उन्होंने जांच पैनल के सदस्य सीआर बाबू पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि आकलन पूरी तरह से गलत है।
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आर्ट ऑफ लिविंग की सफाई
आर्ट ऑफ लिविंग की तरफ से बयान में कहा गया है- "आज एनजीटी ने आर्ट ऑफ लिविंग या गुरुदेव श्री श्री रविशंकर को कोई भी अवमानना नोटिस जारी नहीं किया है। इसके विपरीत मीडिया रिपोर्ट पूरी तरह से गलत, निराधार और तथ्यात्मक रूप से गलत हैं। मामले की सुनवाई केवल 9 मई 2017 तक स्थगित कर दी गयी है। हम न्यायपालिका का सम्मान करते हैं और विश्वास करते हैं कि सत्य की जीत होगी। हमने कभी भी कुछ अपमानजनक नहीं कहा और न ही हमारे द्वारा कोई अवमानना हुई है।यह केवल तथ्यों के आधार पर सुनवाई में देरी करने का एक बेकार प्रयास है। याचिकाकर्ता जानता है कि इस मामले में कोई दम नहीं है। इसलिए वह इस मामले की जड़ के बजाय अप्रासंगिक मुद्दों पर ध्यान बँटाने की कोशिश कर रहा है। याचिकाकर्ता यमुना के कल्याण में बिल्कुल रूचि नहीं रखता है। उनका एकमात्र उद्देश्य है दुनिया की एक सबसे प्रतिष्ठित संगठन की प्रतिष्ठा को धूमिल करना। यह दूसरी बार है जब हमारा गलत निरूपण किया गया है। पिछली बार भी अदालत ने कभी भी गुरुदेव श्री श्री रविशंकर के नाम का उल्लेख नहीं किया था जैसा कि कुछ मीडिया ने रिपोर्ट किया। दरअसल अदालत ने याचिकाकर्ता मनोज मिश्र द्वारा पेश किए गए प्रत्येक बिनती को खारिज कर दिया था। हम उन मीडिया हाउसों से आह्वान करते हैं जिन्होंने यह गलत रिपोर्ट दी है कि माननीय एनजीटी ने एक अवमानना नोटिस जारी किया है - आप कृपया उस आदेश को दिखाएँ जिसके आधार पर उन्होंने इस तरह के बयान को प्रकाशित किया है।"