एनजीटी ने दिया 13 औद्योगिक इकाइयों को बंद करने का आदेश
न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली एनजीटी की प्रधान पीठ ने एक विशेष जांच दल की रिपोर्ट के नतीजे देखने के बाद यह आदेश जारी किया।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने गंगा को प्रदूषित करने वाली 13 औद्योगिक इकाइयों को बंद करने का आदेश दिया है। एनजीटी ने जिन कंपनियों को बंद करने का आदेश दिया है उनमें अमरोहा स्थित दवा कंपनी जुबिलेंट लाइफ साइंसेज भी शामिल है। जांच के दौरान पाया गया था कि ये कंपनियां नियमों का उल्लंघन कर रही हैं, इसलिए ट्रिब्यूनल ने इन्हें बंद करने का आदेश दिया है।
न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली एनजीटी की प्रधान पीठ ने एक विशेष जांच दल की रिपोर्ट के नतीजे देखने के बाद यह आदेश जारी किया। इस दल ने अपनी जांच में सामने आया था कि ये औद्योगिक इकाइयां बागड नदी में निर्धारित मानकों से अधिक प्रदूषक तत्व डाल रही हैं। बागड नदी करीब 200 किलोमीटर बहती है और यह अपने साथ गजरौला तथा भागराला औद्योगिक क्षेत्र से खतरनाक प्रदूषक तत्व लेकर जाती है क्योंकि वहां औद्योगिक अपशिष्ट को ट्रीट करने के लिए कोई प्लांट नहीं है। ट्रिब्यूनल ने कहा कि वैसे यह नदी गंगा में नहीं मिलती लेकिन जब भी बाढ़ आएगी तो ये प्रदूषक तत्व गंगा में जाकर मिल जाएंगे।
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एनजीटी ने जिन कंपनियों को बंद करने का आदेश दिया है उनमें जुबिलंट लाइफसाइसेंस लिमिटेड (डिस्टलियरी यूनिट), जुबिलंट इंडस्ट्रीज लिमिटेड (पॉलीमर यूनिट), जुबिलंट लाइफसाइसेंस लिमिटेड (केमिकल यूनिट-1), जुबिलंट लाइफसाइसेंस लिमिटेड (केमिकल यूनिट-2), कंज्यूमर प्रोड्क्ट, जैन डिस्टीलियरी प्राइवेट लिमिटेड, तेवा एपीआइ इंडिया लि, इंसिल्को लिमिटेड, उमंग डेयरीज लिमिटेड, डेयरी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, कोरल न्यूजप्रिंट्स लिमिटेड, कामाक्षी पेपर मिल और मोहित पेट्रोकेमिकल प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं।
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ट्रिब्यूनल ने कहा कि औद्योगिक इकाइयों के तर्क में कोई दम नहीं है। उन्हें नियमों का पालन करने के लिए समय दिया गया। ये उद्योग अपनी जिम्मेदारी का पालन करने में नाकाम रहे हैं। इसलिए आयोग 13 औद्योगिक इकाइयों को बंद करने का आदेश जारी करता है। ट्रिब्यूनल ने कहा कि ये औद्योगिक इकाइयां केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुमति के बगैर ही जमीन से पानी निकाल रही हैं।
ट्रिब्यूनल ने उत्तर प्रदेश सरकार तथा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को तत्काल ही इन कंपनियों के बिजली और पानी के कनेक्शन काटने का आदेश दिया। साथ ही इन कंपनियों को समिति की जांच रिपोर्ट पर एक हफ्ते के भीतर जवाब देने को कहा। ट्रिब्यूनल ने 24 अप्रैल को यह जांच समिति बनायी थी।