जीएसटी से बढ़ेगी थोड़ी महंगाई और कम होंगी नौकरियां
लंबे समय में यह भले ही फायदेमंद साबित हो, लेकिन अल्पकालिक समय में इसके कुछ नुकसान सामने आ सकते हैं।
नई दिल्ली। राज्यसभा में बुधवार को जीएसटी बिल को पेश कर दिया गया। इसके साथ ही जीएसटी के संविधान संशोधन की लंबी प्रक्रिया की शुरुआत हो गई है।
मगर, पूरे देश में एक ही तरह का कर (गुड्स एंड सर्विस टेक्स) के असर का पता साल 2018 की दूसरी छमाही तक पूरी तरह से चल पाएगा। लंबे समय में यह भले ही फायदेमंद साबित हो, लेकिन अल्पकालिक समय में इसके कुछ नुकसान सामने आ सकते हैं।
जैसे महंगाई में मामूली बढ़ोतरी होने की आशंका है क्योंकि कई सारी बिना कर वाली वस्तुएं और सेवाएं भी अब इसके दायरे में आएंगी। असंगठित क्षेत्र जिसमें ज्यादातर फुटकर कारोबारी करने वाले छोटे व्यवसायी होते हैं, उनके रोजगार में बड़ी कटौती हो सकती है क्योंकि यह सेक्टर करदाताओं के पैसे से अब आगे नहीं बढ़ पाएगा।
साथ ही सरकार को साल 2019 में होने वाले आम चुनावों से पहले 2018 के वित्तीय वर्ष से अधिक राजस्व खर्च करना होगा। ऐसा इसलिए ताकि वह महंगाई बढ़ने से खफा जनता को कुछ राहत दे सके।
बढ़ेगा सरकार का राजस्व
माना जा रहा है कि जिस दिन से जीएसटी लागू होगा, उसी दिन से प्रत्यक्ष कर के कलेक्शन में बढ़ोतरी होगी। जीएसटी के लागू होने के बाद आयकर के जमा होने में बढ़ोतरी होगी क्योंकि इससे कर दाताओं का भुगतान सीधे उनके पैन नंबर, नेशनल सिक्योरिटी डिपॉजिटरी (एनएसडीएल) से जोड़ दिया जाएगा।
महंगाई में होगी मामूली वृद्धि
दिसंबर 2015 में जीएसटी पर दी गई अरविंद सुब्रह्मण्यम पैनल की रिपोर्ट में कहा गया था कि रेवेन्यू न्यूट्रल रेट 15 से 15.5 फीसद के बीच होनी चाहिए। यह न्यूनतम 12 फीसद और अधिकतम 18 फीसद तक मानक है, जिससे समग्र महंगाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
हालांकि, अधिक रेवेन्यू न्यूट्रल रेट, जो कि न्यूनतम 12 फीसद और मानक दर 22 फीसद होने पर महंगाई 0.3 से 0.7 फीसद तक बढ़ेगी। कारण, जीएसटी के लागू होने के बाद कई ऐसी वस्तुएं और सेवाएं इसके दायरे में आएंगी, जो अभी कर दायरे के बाहर हैं।
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