जनता परिवार के विलय की घोषणा अगले सप्ताह
जनता परिवार के विलय की बहुप्रतीक्षित घोषणा अगले सप्ताह हो सकती है। विलय के पूर्व अधिकांश मसले हल कर लिए गए हैं। यदि जनता परिवार फिर एकजुट होकर नई पार्टी बनाते हैं तो मोदी सरकार की मुश्किलें और ब़़ढ सकती हैं। सशक्त विपक्ष की दिशा में यह ब़़डा कदम होगा।
नई दिल्ली। जनता परिवार के विलय की बहुप्रतीक्षित घोषणा अगले सप्ताह हो सकती है। विलय के पूर्व अधिकांश मसले हल कर लिए गए हैं। यदि जनता परिवार फिर एकजुट होकर नई पार्टी बनाते हैं तो मोदी सरकार की मुश्किलें और ब़़ढ सकती हैं। सशक्त विपक्ष की दिशा में यह ब़़डा कदम होगा। जदयू अध्यक्ष शरद यादव ने बताया कि विलय होना ही है और यह जल्द से जल्द होगा।
सूत्रों ने बताया कि इस परिवार में शामिल होने जा रही मुलायमसिंह यादव, की पार्टी सपा के संसद में सर्वाधिक सांसद हैं, इसलिए इसका अध्यक्ष पद उन्हीं को मिलेगा। लोकसभा में सपा के 5, राजद के 4, जदयू ([एस)] व इनेलो के 2--2 सदस्य हैं। कुल मिलाकर इन दलों के लोकसभा में 15 सांसद हैं। वहीं राज्यसभा में सपा के 15, जदयू के 12 तथा इनेलो, जद (एस) और राजद के 1-1 सदस्य हैं। इस प्रकार राज्यसभा में जनता परिवार से जुड़ी पार्टियां की कुल सदस्य संख्या 30 है।
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जदयू के महासचिव केसी त्यागी ने बताया कि सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव एक-दो दिन में विलय की योजना को अंतिम रूप देंगे। इसके पूर्व वे इनेलो के प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला, जदएस के प्रमुख व पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा से चर्चा करेंगे। सपा, जदयू और राजद के बीच विलय के लिए सहमति बन चुकी है। झंडे, चिन्ह व घोषणा-पत्र पर मतभेद नहीं है। त्यागी ने बताया कि एक--दो दिन में पूर्ववर्ती जनता परिवार के घटक दलों की बैठक बुलाएंगे।
उन्होंने बताया कि नई पार्टी के झंडे, चिन्ह या घोषणा-पत्र को लेकर अब कोई मतभेद नहीं है। कुछ मामूली मुद्दे हैं, जिन पर एक-दो दिन में चर्चा हो जाएगी। शुक्रवार को सपा प्रमुख की अध्यक्षता में बैठक में कुछ मुद्दों पर विचार हुआ। इसमें राजद प्रमुख लालू यादव, जदयू प्रमुख शरद यादव व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शरीक हुए। नीतीश कुमार, चौटाला मुलायम व लालू से मिले
गत गुरुवार, शुक्रवार को नीतीश कुमार दिल्ली में थे। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से 10 जनपथ पर, चौटाला से तिहाड़ जेल में, सपा प्रमुख मुलायम से उनके बंगले पर तीन बार तथा राजद प्रमुख लालू से मुलाकातें कीं।
1977 में इंदिराजी को परास्त कर दिया था
पूर्ववर्ती जनता पार्टी ने 1977 के लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया था। लेकिन मात्र दो साल बाद ही यह परिवार बिखर गया था। इसके बाद विभिन्न नामों से ये दल कई बार एकजुट हुए और बिखरे। शनिवार को नीतीश कुमार ने पटना में कहा कि विलय प्रक्रिया सही दिशा में चल रही है और उम्मीद है कि यह बहुत अधिक समय नहीं लेगी।
भूमि विधेयक का समर्थन नहीं जदयू महासचिव त्यागी ने साफ कहा कि उनकी पार्टी या जनता परिवार का कोई दल भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक का समर्थन नहीं करेगी। उन्होंने बताया कि राजग सरकार क्षेत्री दलों का समर्थन जुटाने की कोशिश कर रही है, लेकिन मौजूदा स्वरूप में विधेयक का समर्थन नहीं किया जाएगा।
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