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नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार से मांगा 1.07 लाख करोड़ का पैकेज

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के लिए विशेष राज्य के दर्जे के साथ ही केंद्र से 1.07 लाख करोड़ की विशेष सहायता राशि भी मांगी है।

By pradeep Kumar TiwariEdited By: Published: Sat, 28 Mar 2015 09:38 AM (IST)Updated: Sat, 28 Mar 2015 09:39 AM (IST)
नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार से मांगा 1.07 लाख करोड़ का पैकेज

पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के लिए विशेष राज्य के दर्जे के साथ ही केंद्र से 1.07 लाख करोड़ की विशेष सहायता राशि भी मांगी है। इसके लिए राज्य सरकार ने पटना में 23 मार्च को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में तैयार मजमून केंद्र को सौंप दिया है।

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ज्ञापन में केंद्रीय वित्त मंत्री के बजट भाषण का हवाला देते हुए आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम (2014) की तर्ज पर बिहार पुनर्गठन अधिनियम (2000) के तहत विशेष सहायता की मांग की गई है। राज्य सरकार ने कहा है कि आंध्र प्रदेश की तरह ही बिहार में भी उद्योग-धंधे एवं आधारभूत संरचना के विकास के लिए केंद्र राजकोषीय उपाय करे। साथ ही प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करों में छूट के लिए जरूरी कदम उठाए, ताकि राच्य में निवेश को गति मिल सके।

ज्ञापन में बिहार के पिछड़ेपन की वजह बताते हुए कहा गया है कि नीतिगत एवं आर्थिक कारणों से बिहार की प्रगति शुरू से ही बाधित रही है। वित्त एवं योजना आयोग के प्रयास भी सफल नहीं हो सके। क्षेत्रीय विषमता बढ़ती गई और बिहार पिछड़ता चला गया।

राज्य सरकार ने कहा है कि पिछले 8-9 वर्षों के दौरान हालात बदलने के लिए कोशिश की गई। यही कारण है कि विपरीत हालात में भी विकास दर दोहरे अंकों में पहुंची है, हालांकि प्रति व्यक्ति आय में बिहार आज भी पीछे है। शिक्षा, स्वास्थ्य एवं आर्थिक सेवाओं पर खर्च में भी निचले पायदान पर है। यहां तक कि झारखंड भी बिहार से आगे निकल गया। यहां प्रति व्यक्ति आय 28882 रुपये है।

राज्य सरकार ने कहा है कि सवाल सिर्फ प्रति व्यक्ति आय का नहीं है, बल्कि पूरी आबादी के लिए सड़क, स्वच्छ पेयजल, बिजली, आवास एवं रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने का है। केंद्रीय मदद से बिहार की अर्थव्यवस्था और प्रति व्यक्ति आय को पटरी पर लाना है। राष्ट्रीय औसत के करीब पहुंचना है तो विकास दर की रफ्तार दोगुनी करनी होगी। नहीं तो यह खाई और बढ़ती जाएगी। इसलिए केंद्र सरकार अपनी प्रतिबद्धता और हमारी मांगों के अनुरूप बिहार के संसाधनों में कमी की भरपाई के लिए विशेष व्यवस्था करे।

बिहार की प्रमुख मांगें

संस्थान : इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंटिफिक एजुकेशन एंड रिसर्च (आईआईएसईआर), ट्रिपल आइटी, बागवानी विश्वविद्यालय एवं आपदा प्रबंधन का राष्ट्रीय संस्थान।

आधारभूत संरचना : स्टील प्लांट, माल ढुलाई के लिए पटना में ड्राईपोर्ट एवं पटना के निकट एक अतिरिक्त हवाई अड्डा।

किस विभाग के लिए कितना पैसा (राशि करोड़ में)

विभाग : अनुमानित राशि

ग्रामीण कार्य/ग्रामीण पथ : 32600.00

पथ निर्माण : 8148.00

कृषि : 41587.00

पंचायती राज : 7285.00

नगर विकास : 12355.00

पर्यटन : 5912.00

कुल : 107887.00

क्या है प्रावधान

ज्ञापन में बिहार पुनर्गठन अधिनियम (2000) के प्रावधानों का भी उल्लेख है, जिसमें जरूरतों के मुताबिक विशेष अनुशंसा करने की बात कही गई थी। पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि के तहत विशेष मदद भी दी जा रही थी, लेकिन इस बार बड़ी कटौती कर दी गई और अगले वित्तीय वर्ष से इसे बंद कर दिए जाने का प्रावधान है। इससे बिहार को मिल रही विशेष सहायता खत्म होने की आशंका है। राज्य सरकार ने अद्र्धसरकारी पत्र के द्वारा इसी साल 26 फरवरी को केंद्र के समझ अपनी मांगें रखी थी।


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