ब्लैक मनीः स्विस बैंकों में घट रही भारतीयों की रकम
जेनेवा स्थित एसोसिएशन ऑफ स्विस प्राइवेट बैंक्स ने कहा है कि इस संबंध में भारत को चिंता करने की जरूरत नहीं हैं।
नई दिल्ली, एजेंसी। काले धन की पनाहगाह माने जाने वाले स्विस बैंकों में भारतीयों की जमा राशि सिंगापुर और हांगकांग जैसे अन्य ग्लोबल वित्तीय केंद्रों की तुलना में कहीं कम है। स्विट्जरलैंड के निजी बैंकरों के समूह ने काले धन पर अंकुश लगाने की बढ़ती कोशिशों के बीच यह बात कही है।
ताजा आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 2015 के अंत तक स्विस बैंकों में भारतीयों की जमा राशि घटकर 1.2 अरब फ्रैंक करीब 8,392 करोड रुपए रह गई है, जो रिकॉर्ड निचला स्तर है। वैसे, अन्य ग्लोबल केंद्रों में जमा धन का कोई औपचारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।
40 देशों से करार बीते सप्ताह स्विट्जरलैंड ने भारत और 40 अन्य देशों के साथ वित्तीय खाते की जानकारी के सीधे आदान-प्रदान की व्यवस्था को मंजूरी दी है। स्विस फेडरल काउंसिल ने टैक्स संबंधी सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान (एईओआई) पर ग्लोबल संधि के अनुमोदन के प्रस्ताव पर मुहर लगाई थी। व्यवस्था के तहत सूचना के सीधे आदान-प्रदान के लिए डाटा गोपनीयता के नियमों का सख्ती से पालन करना होगा।
जेनेवा स्थित एसोसिएशन ऑफ स्विस प्राइवेट बैंक्स (एओएसपीबी) ने कहा है कि इस संबंध में भारत को चिंता करने की जरूरत नहीं हैं। देश में उचित तरीके से कानून का पालन किया जा रहा है। रकम में गिरावट एसोसिएशन के मैनेजर जैन लैंग्लो ने बताया कि भारत के कुछ नागरिकों का भी पैसा स्विस बैंकों में है जो हांगकांग और सिंगापुर की तुलना में काफी कम है।
मौजूदा समय में नौ बैंक इस ग्रुप के सदस्य हैं। इन बैंकों में कुल 7500 कर्मचारी हैं। स्विस नेशनल बैंक के आंकड़ों के अनुसार, स्विट्जरलैंड के बैंकों में भारतीयों की जमा राशि 2015 के अंत में 59.64 करोड़ स्विस फ्रैंक घटकर 1.2 अरब स्विस फ्रैंक रह गई। स्विस बैंकों में भारतीयों का 2006 के अंत में 6.5 अरब फ्रैंक (23,000 करो़ड़ रुपए) जमा था जो रिकॉर्ड ऊंचा स्तर था।
हालांकि, तब से इन फंडों की मात्रा में गिरावट आ रही है। सिर्फ 2011 और 2013 में भारतीयों की रकम क्रमश: 12 फीसदी और 42 फीसदी बढ़ी थी। गोपनीयता का रखना होगा ध्यान एसोसिएशन ऑफ स्विस प्राइवेट बैंक्स ने कहा कि भारत को नई व्यवस्था के तहत अपने नागरिकों के स्विस बैंक खातों के बारे में प्राप्त सूचना की गोपनीयता कड़ाई से सुनिश्चित करनी होगी। ऐसा नहीं होने पर स्विट्जरलैंड आंकड़े साझा करना बंद कर देगा। एसोसिएशन ने स्पष्ट किया है कि स्विस सरकार तथा उसके बैंक भारत की तरफ से विभिन्न देशों से प्राप्त ब्योरे के संदर्भ में आंकड़ा संरक्षण के लिए किए गए उपायों पर पैनी नजर रखेंगे।
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