जानें, किस गणित के सहारे राज्य सभा में सरकार पारित कराएगी GST
राज्यसभा में जीएसटी बिल के पारित होने पर सस्पेंस कायम है। लेकिन सरकार को यकीन है कि मानसून सत्र में बिल को पारित करा लिया जाएगा
नई दिल्ली। पूरे देश को एकीकृत बाजार में बदलने के लिए जीएसटी बिल पर सस्पेंस अभी बरकरार है। लोकसभा से पारित होने के बाद इस बिल को राज्यसभा से पारित कराना है। राज्य सभा में सत्ता पक्ष के कमजोर आंकड़े की वजह से ये बिल नहीं पारित हो सका है। लेकिन राज्य सभा में हाल के चुनावों के बाद संख्या बल की गणित में एनडीए कांग्रेस से आगे निकल गयी है। आइए सबसे पहले राज्यसभा में पार्टियों की संख्या पर नजर डालते हैं।
राज्यसभा के ताजा आंकड़े
एनडीए- 81
यूपीए- 68
गैर एनडीए-गैर यूपीए सदस्य - 91
जीएसटी के पक्ष में दल
जीएसटी के पक्ष में समाजवादी पार्टी, टीएमसी, एनसीपी,जेडीयू, बीजू जनता दल, बहुजन समाज पार्टी ने पहले से ही सरकार को समर्थन देने का ऐलान किया है। इन दलों के समर्थन के बाद सरकार के पक्ष में 141 का आंकड़ा आता है। जो जादुई आंकड़े 164 से दूर है। अगर एआईएडीएमके रुख में बदलाव आता है तो भी सरकार के 10 सांसदों का समर्थन कम रहेगा।
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जीएसटी के विरोध में दल
जीएसटी के विरोध में कांग्रेस , राजद और वाम दल हैं। इन दलों के समर्थन में कुल 80 सदस्य है। केंद्र सरकार को बिल पारित कराने के लिए 245 सदस्यों वाली राज्य सभा में 164 सांसदों का समर्थन चाहिए। एआईएडीएमके के पास 13 सांसद हैं। जललिता का कहना है कि मैन्यूफैक्चर्र राज्य होने की वजह से उन्हें नुकसान होगाष हालांकि केेंद्र सरकार को भरोसा है कि देर सबेर वो जीएसटी का समर्थन करेंगी। एआईएडीएमके को लेकर दो तरह के हालात हैं। या तो वो जीएसटी बिल का समर्थन करें या जीएसटी पर मतदान के वक्त उनके सांसद लोकसभा मेें गैरहाजिर रहें। अगर जयललिता के सांसद गैरहाजिर रहते हैं तो जीएसटी को पारित कराने के लिए 145 सांसदों की जरूरत होगी। इस हालात में भी सरकार के पास 145 के जादुई आंकड़े से 14 सांसदों का समर्थन कम रहेगा।
अनिर्णय के हालात में कुछ दल
वाइएसआर कांग्रेस, तेलंगाना राष्ट्रीय समिति जनता दल सेक्युलर और निर्दलीय सांसदों का रुख अभी साफ नहीं है। बताया जा रहा है कि अगर ये दल जीएसटी के समर्थन में आते हैं तो कांग्रेस राज्यसभा की कार्यवाही को बाधित कर सकती है। इसके अलावा सचिन तेंदुलकर और रेखा पर सस्पेंस है कि क्या वो जीएसटी का समर्थन करेंगे या कांग्रेस के साथ जाएंगे।
वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि सरकार चाहती है कि जीएसटी बिल सर्वसम्मति से पारित हो। अगर किसी तरह की अड़चन आती है, तो मतविभाजन ही एक मात्र रास्ता बचेगा। कांग्रेस का कहना है कि वो चाहती है कि बिल सर्वसम्मति से पारित हो। लेकिन उन्हें बिल के कुछ प्रावधानों पर ऐतराज है। इन सब मतभेदों के बावजूद सत्ता पक्ष को यकीन है कि मानसून सत्र में इस बिल को पारित करा लिया जाएगा।