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लोकसभा में जीएसटी बिल पेश, टीएमसी पक्ष में

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) बिल को आज लोकसभा में पेश कर दिया। इस बिल पर चर्चा करते हुए लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि इसे लोकसभा की स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा जाना चाहिए।

By Sudhir JhaEdited By: Published: Fri, 24 Apr 2015 09:21 AM (IST)Updated: Sat, 25 Apr 2015 09:11 AM (IST)
लोकसभा में जीएसटी बिल पेश, टीएमसी पक्ष में

नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) बिल को आज लोकसभा में पेश कर दिया। इस बिल पर चर्चा करते हुए लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि इसे लोकसभा की स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा जाना चाहिए।

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ज्यादातर राज्यों की सहमति के बाद वित्तमंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी लागू करने के प्रावधान वाले संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा में पेश कर दिया। सरकार इसे सोमवार तक पारित कराने का प्रयास कर रही है। भाजपा आने वाले दिनों में इस बिल को पास कराने के लिए अपने सांसदों के लिए व्हिप जारी कर सकती है।इस बिल को पास कराने के लिए दो-तिहाई बहुमत की जरूरत होगी।

इस बीच तृणमूल कांग्रेस सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने जीएसटी बिल का समर्थन किया है। पार्टी की ओर से कहा गया है कि चुनावी घोषणा पत्र में जीएसटी लागू कराने का वादा किया गया था। ऐसे में इसके समर्थन में वोट करना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है।

गुरुवार को ही वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ इस विधेयक के मसौदे पर विस्तृत चर्चा की थी। इस बिल के अधिकांश हिस्से पर सहमति बन गई है। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक सरकार मान रही है कि जीएसटी लागू करने के रास्ते की बड़ी बाधाएं अब दूर हो गई हैं। सरकार को उम्मीद है कि सोमवार को यह विधेयक लोकसभा से पारित हो जाएगा। इसके बाद इसे ऊपरी सदन राज्यसभा भेजा जाएगा।

चूंकि यह संविधान संशोधन विधेयक है, लिहाजा इसे दोनों सदनों में दो तिहाई बहुमत से पारित होना जरूरी है। संसद से पारित होने के बाद इस विधेयक को पचास फीसद राज्य विधानसभाओं से भी पारित कराया जाना जरूरी होगा। तभी इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जा सकेगा। राष्ट्रपति से मंजूरी मिल जाने के बाद केंद्र को देश में जीएसटी लागू करने के लिए फिर नया विधेयक लाना होगा। राज्यों को भी इसी तरह का अलग बिल जीएसटी लागू करने के लिए विधानमंडलों में पारित कराना होगा। यह प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद ही विभिन्न अप्रत्यक्ष करों को समाप्त कर नया जीएसटी लागू किया जा सकेगा।

वित्त मंत्री के साथ राज्यों के वित्त मंत्रियों की बैठक में मोटे तौर पर तो विधेयक पर सहमति बन गई है। कुछ राज्य दो साल के लिए एक फीसद अतिरिक्त टैक्स लागू करने की छूट चाहते हैं। भाषा संबंधी कुछ बदलाव अवश्य हो सकते हैं, क्योंकि राज्यों ने मुआवजे के भुगतान के आश्वासन की भाषा पर कुछ शब्दों को बदलने की मांग की थी। लेकिन इसका एलान वित्त मंत्री की तरफ से चर्चा का जवाब देते वक्त हो सकता है।

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