जीएसटी पर राजनीतिक समर्थन जुटाएंगे जेटली
बहुप्रतीक्षित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पर राजनीतिक समर्थन जुटाने को वित्त मंत्री अरुण जेटली बुधवार को राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ बैठक करेंगे। माना जा रहा है कि जेटली इस बैठक में गैर-भाजपा शासित राज्यों के वित्त मंत्रियों से जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक का समर्थन करने का आग्रह
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बहुप्रतीक्षित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पर राजनीतिक समर्थन जुटाने को वित्त मंत्री अरुण जेटली बुधवार को राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ बैठक करेंगे। माना जा रहा है कि जेटली इस बैठक में गैर-भाजपा शासित राज्यों के वित्त मंत्रियों से जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक का समर्थन करने का आग्रह कर सकते हैं।
सूत्रों ने कहा कि जेटली राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति की बैठक करेंगे। इसके बाद राज्यों के वित्त मंत्री आपस में बैठक कर जीएसटी के क्रियान्वयन संबंधित विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श करेंगे। मोदी सरकार ने एक अप्रैल, 2016 से जीएसटी को लागू करने का प्रस्ताव किया है। वित्त मंत्री का कहना है कि सरकार संसद के मौजूद सत्र में ही जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक को पारित कराने की कोशिश करेगी।
केंद्र ने जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक पिछले साल दिसंबर में लोकसभा में पेश किया था। जीएसटी के लागू होने पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क, सेवाकर और राज्यों के मूल्य विर्द्धत कर (वैट), मनोरंजन कर, चुंगी कर, लग्जरी टैक्स जैसे कई अप्रत्यक्ष कर समाप्त हो जाएंगे। कई राज्यों का कहना है कि जीएसटी के लागू होने पर उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों को फायदा होगा, जबकि महाराष्ट्र और गुजरात जैसे मैन्यूफैक्चरिंग वाले राज्यों को इसका अधिक लाभ नहीं होगा।
केंद्र और राज्य सरकारें राजस्व निरपेक्ष दर पर भी चर्चा कर रही हैं, जो फिलहाल 27 प्रतिशत है। राजस्व निरपेक्ष दर से आशय यह है कि इस दर पर जीएसटी लगने से राज्यों को राजस्व हानि नहीं होगी। राजस्व निरपेक्ष दर (रेवेन्यू न्यूट्रल रेट) का पुन: आकलन इसलिए जरूरी है, क्योंकि इसे तय करते वक्त पेट्रोलियम उत्पादों पर टैक्स तथा राज्यों द्वारा एक प्रतिशत अतिरिक्त कर लगाने के प्रावधान पर विचार नहीं किया गया है। वित्त मंत्री का कहना है कि जीएसटी के लागू होने पर देश का सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी एक से दो प्रतिशत बढ़ जाएगा।