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कालेधन पर सरकार कोई जोखिम नहीं लेगी : जेटली

काला धन रखने वालों के नाम बताने के मुद्दे पर सरकार के यू टर्न के आरोपों को खारिज करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि इस मामले में सरकार कोई दुस्साहसिक कदम उठाकर भविष्य में दूसरे देशों से मिलने वाले सहयोग को जोखिम में नहीं डालेगी। उन्होंने कहा कि कालेधन पर सरकार का रुख सख्त है, दुस्साहसिक नहीं। जे

By Sanjay BhardwajEdited By: Published: Sat, 18 Oct 2014 06:57 PM (IST)Updated: Sat, 18 Oct 2014 06:57 PM (IST)
कालेधन पर सरकार कोई जोखिम नहीं लेगी : जेटली

नई दिल्ली। काला धन रखने वालों के नाम बताने के मुद्दे पर सरकार के यू टर्न के आरोपों को खारिज करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि इस मामले में सरकार कोई दुस्साहसिक कदम उठाकर भविष्य में दूसरे देशों से मिलने वाले सहयोग को जोखिम में नहीं डालेगी। उन्होंने कहा कि कालेधन पर सरकार का रुख सख्त है, दुस्साहसिक नहीं।

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जेटली ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा, 'काला धन रखने वालों के नाम पता कर उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज करना और उन्हें सार्वजनिक करने को लेकर हम प्रतिबद्ध हैं। हम कोई दुस्साहसिक कृत्य में नहीं पड़ेंगे, जससे किसी संधि का उल्लंघन हो और बाद में कहें कि हमें दूसरे देशों का सहयोग नहीं मिल रहा है। इस तरह के कृत्य से काला धन रखने वालों को ही फायदा होगा। साहस थोड़े समय का होगा। इस मामले में गंभीर रख हमें मामले की जड़ तक ले जाएगा।' सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने कहा है कि वह काला धन रखने वालों के नाम सार्वजनिक नहीं करेगी। जेटली इसकी आलोचना का जवाब दे रहे थे।

सरकार ने अपने 800 पेज के जवाब में कोर्ट में कहा कि वहां दूसरे देशों के सरकार की द्विपक्षीय संधियों के चलते वह कालाधन रखने वालों के नामों का खुलासा नहीं कर सकती।

केंद्र सरकार जनता को गुमराह कर रही है : कांग्रेस

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि कालेधन के मामले में मोदी सरकार जनता को गुमराह कर रही है। पार्टी ने वित्त मंत्री अरुण जेटली के उस तर्क को भी गलत बताया कि कांग्रेस सरकार द्वारा 19 जून 1995 में जर्मनी के साथ की गई संधि के कारण सरकार के हाथ बंधे हुए हैं।

कांग्रेस महासचिव एवं मीडिया विभाग के प्रमुख अजय माकन ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 14 देशों के साथ दोहरे कराधान से बचने के समझौते भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के कार्यकाल में हुए थे। लेकिन इस मुद्दे पर दुबारा चर्चा के कोई प्रयास नहीं किए गए। उन्होंने कहा समझौते के समय नाम गुप्त रखने की शर्त क्यों मानी? और अब आप यूपीए पर आरोप लगा रहे हैं। भाजपा सरकार गोपनीयता संबंधी शर्त हटाने के बारे में क्यों नहीं सोचती? माकन ने कहा कि ये समझौते सितंबर 1996 में हुए और नवंबर 1996 में पंजीबद्ध हुए तब केंद्र में कांग्रेस सत्ता में नहीं थी। वे इस प्रश्न को टाल गए कि क्या जेटली झूठ बोल रहे हैं? उन्होंने कहा कि हो सकता है उनके पास कोई अन्य दस्तावेज हो।

लोकसभा चुनाव के पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा भारतीय जनता पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता काला धन जमा करने वालों के नाम उजागर करने की मांग कर रहे थे। वे तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार पर ऐसा न करने के लिए आक्षेप लगा रहे थे। उन्होंने कहा कि अब भाजपा की ही सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में नाम सार्वजनिक करने में यह कहते हुए असमर्थता जताई है कि दोहरे कराधान से बचने के समझौतों के कारण ऐसा नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि यदि देश का काला धन वापस आ जाए तो हर भारतीय के पास 15 लाख रुपये होंगे। राजनाथ सिंह ने कहा था कि वे सत्ता में आने के 100 दिन में काला धन वापस लाएंगे। मैं मेरे 15 लाख रुपये की मांग कर रहा हूं। ये मेरे और आप लोगों के जेब में आना चाहिए। इनमें से कोई वादा पूरा नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं को यह बताना चाहिए कि वे अब तक लोगों को गुमराह क्यों कर रहे थे।

तृणमूल कांग्रेस ने भी केंद्र सरकार द्वारा काला धन मामले पर लिए गए यू टर्न के लिए उसकी कड़ी आलोचना की है। पार्टी ने कहा कि इससे झटका लगा है। यह यूपीए के भ्रष्टाचार के खिलाफ जनभावना के साथ धोखा है।

तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि इससे स्पष्ट है कि भाजपा और कांग्रेस दिल्ली की सत्ता के भागीदार हैं।

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