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कांग्रेस के करार ने कालेधन पर सरकार के बांधे हाथ

काले धन को मुख्य चुनावी मुद्दा बनाकर सत्ता में आई राजग सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने काला धन बाहर भेजने वालों के नाम बताने से साफ मना कर दिया है। सरकार ने आठ सौ पन्नों की अर्जी दाखिल कर अदालत से खातेदारों के नाम उजागर करने संबंधी पहले के आदेश में बदलाव का भी आग्रह किया। विदेश में जमा काला

By Sachin kEdited By: Published: Sat, 18 Oct 2014 12:47 AM (IST)Updated: Sat, 18 Oct 2014 12:47 AM (IST)
कांग्रेस के करार ने कालेधन पर सरकार के बांधे हाथ

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। काले धन को मुख्य चुनावी मुद्दा बनाकर सत्ता में आई राजग सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने काला धन बाहर भेजने वालों के नाम बताने से साफ मना कर दिया है। सरकार ने आठ सौ पन्नों की अर्जी दाखिल कर अदालत से खातेदारों के नाम उजागर करने संबंधी पहले के आदेश में बदलाव का भी आग्रह किया। विदेश में जमा काला धन वापस लाने पर वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सरकार का पक्ष रखा। पूर्व की संप्रग सरकार भी इसी आधार पर काला धन भेजने वाले भारतीयों का नाम उजागर नहीं करती थी।

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रोहतगी ने मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि जिन देशों के साथ भारत का दोहरे कराधान निषेध समझौता है, उन देशों द्वारा दिए गए ब्योरे सार्वजनिक नहीं किए जा सकते। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि जर्मनी ने उन लोगों का ब्योरा सार्वजनिक करने पर आपत्ति की है, जिनका धन एलजीटी बैंक, लीचेंस्टीन में जमा है। उन्होंने जल्द-से-जल्द इस मामले की सुनवाई का अनुरोध किया।

सरकार की अर्जी का जेठमलानी ने किया विरोध:

वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने सरकार की अर्जी का जबरदस्त विरोध किया। जेठमलानी ने बताया कि इस मामले में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है और उनके जबाव का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह का आवेदन अभियुक्तों की ओर से तो दिया जा सकता है, लेकिन सरकार की ओर से नहीं। उन्होंने सरकार पर विदेश में काला धन जमा करने वालों को बचाने का आरोप लगाया। जेठमलानी की तरफ से दायर याचिका पर वर्ष 2009 से ही सुनवाई हो रही है।

कांग्रेस शासन में हुई संधि नाम बताने में बन रही बाधा:

काला धन पर सरकार के रुख के बारे में वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि कांग्रेस शासन में हुई एक संधि विदेशी बैंकों में जमा भारतीयों के काले धन की जानकारी सार्वजनिक करने में बाधा बन रही है। भारत और जर्मनी के बीच 19 जून, 1995 को हुए दोहरे कराधान निषेध समझौते के तहत कर चोरी के मामले में जांच प्रक्रिया पूरी होने और आरोप दाखिल होने तक उस मामले से जुड़ी जानकारी का खुलासा नहीं किया जा सकता।

जेटली ने उन आरोपों को खारिज किया कि सरकार काले धन से जुड़े मामलों की जानकारी सार्वजनिक करने में आनाकानी कर रही है। जेटली ने कहा कि हमें नाम सार्वजनिक करने में कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन उनका खुलासा कानून की उचित प्रक्रिया के माध्यम से ही किया जा सकता है।

काले धन पर जानकारी देने के लिए स्विट्जरलैंड तैयार:

विदेश में जमा काले धन को वापस लाने के संबंध में सरकार के प्रयासों का ब्योरा देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि राजस्व सचिव शक्तिकांत दास के नेतृत्व में वित्त मंत्रालय का एक दल स्विट्जरलैंड के अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श करके लौटा है।

स्विस अधिकारी काले धन पर भारत के साथ जानकारी साझा करने के लिए तैयार हो गए हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि स्विट्जरलैंड अब तक एचएसबीसी के खाताधारकों के बारे में जानकारी देने से मना करता रहा है। अब वह एचएसबीसी के उन खातों की जानकारी देने को तैयार हो गया है, जिनके संबंध में आयकर विभाग ने स्वतंत्र दस्तावेज जुटा लिए हैं।

स्विट्जरलैंड काले धन के मामले में भारत द्वारा प्राप्त किए गए दस्तावेजों की वास्तविकता जांचने को भी तैयार है।

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