रोहिंग्या समस्या से निपटने की कूटनीति बनाने में जुटी सरकार
रोहिंग्या शरणार्थियों की समस्या को लेकर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दबाव से निपटने के लिए सरकार भावी रणनीति बनाने में जुट गई है।
नीलू रंजन, नई दिल्ली। रोहिंग्या शरणार्थियों की समस्या को लेकर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दबाव से निपटने के लिए सरकार भावी रणनीति बनाने में जुट गई है। इस सिलसिले में बुधवार को देर शाम गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने अपने तीन कैबिनेट सहयोगियों से विचार विमर्श किया। सरकार की कोशिश रोहिंग्या शरणार्थियों को देश में घुसने से रोकने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भारत के खिलाफ किये जा रहे दुष्प्रचार को रोकना है। रोहिंग्या समस्या को लेकर राजनाथ सिंह के आवास पर वित्तमंत्री अरुण जेटली, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की बैठक हुई। बताया जाता है कि बैठक में रोहिंग्या शरणार्थियों के देश के आंतरिक सुरक्षा पर खतरे और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भारत के खिलाफ चल रहे दुष्प्रचार पर विस्तार से चर्चा हुई। संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार संगठन से लेकर कई देश रोहिंग्या शरणार्थियों को लेकर भारत की नीति की खुली आलोचना कर रहे हैं।
घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दबाव से निपटने की चुनौती
सूत्रों के मुताबिक बैठक में रोहिंग्या शरणार्थियों के साथ लश्करे तैयबा सरगना हाफिज सईद के संगठन जमात उद दावा की मौजूदगी को लेकर खुफिया रिपोर्टो पर भी चर्चा हुई। इसके आधार पर भारत में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों की पहचान करने और उनकी गतिविधियों पर पूरी तरह नजर रखने की जरूरत पर बल दिया गया। साथ ही भविष्य में राहिंग्या शरणार्थियों को रोकने के लिए सीमा पर चौकसी कड़ी करने का निर्णय लिया गया। लेकिन रोहिंग्या शरणार्थियों पर लगाम लगाने के साथ ही उनके खिलाफ बन रही अंतरराष्ट्रीय छवि को दूर किया जाएगा। इसके लिए जल्द ही भारत रोहिंग्या समस्या से निपटने के लिए म्यांमार और बांग्लादेश की हरसंभव मदद करेगा। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने म्यांमार यात्रा के दौरान इस समस्या पर चिंता जता चुके हैं और म्यांमार को इससे निपटने में मदद का भरोसा भी दे चुके हैं।
भारत का मानना है कि रोहिंग्या इलाके में पाक स्थित आतंकी संगठनों की उपस्थित सभी पड़ोसी देशों के लिए खतरनाक साबित होगा। भारत अब रोहिंग्या बहुल इलाके के विकास के लिए म्यांमार को विशेष सहायता की पेशकश कर सकता है। इसके साथ ही बांग्लादेश में आ रहे लाखों शरणार्थियों को संभालने के लिए जरूरी आधारभूत संरचना तैयार करने में भी मदद कर सकता है। इससे भारत को अंतरराष्ट्रीय जगत में बन रही रोहिंग्या विरोधी बन रही छवि को सुधारने में मदद मिलेगी और आंतरिक सुरक्षा से भी समझौता नहीं करना होगा।