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तेलंगाना पर ईमेल से मिले विचारों पर विचार करेगा जीओएम

आंध्र प्रदेश के बंटवारे पर सरकार को करीब 2000 ईमेल मिले हैं, जिसे मंत्रियों के समूह (जीओएम) के समक्ष पेश किया जाएगा। यह जानकारी शनिवार को केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे पे दी। उन्होंने कहा कि केंद्र को आंध्र प्रदेश के बंटवारे पर करीब 2000 ईमेल से सुझाव मिले हैं। इन ईमेल को विभागवार छंटनी के ि

By Edited By: Published: Sun, 20 Oct 2013 09:02 AM (IST)Updated: Sun, 20 Oct 2013 09:09 AM (IST)
तेलंगाना पर ईमेल से मिले विचारों पर विचार करेगा जीओएम

नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश के बंटवारे पर सरकार को करीब 2000 ईमेल मिले हैं, जिसे मंत्रियों के समूह (जीओएम) के समक्ष पेश किया जाएगा। यह जानकारी शनिवार को केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे पे दी। उन्होंने कहा कि केंद्र को आंध्र प्रदेश के बंटवारे पर करीब 2000 ईमेल से सुझाव मिले हैं। इन ईमेल को विभागवार छंटनी के लिए कहा गया है ताकि मंत्रियों का समूह विचार कर सके। आंध्र प्रदेश के बंटवारे पर लोगों से बंटवारे के तरीके पर विचार मांगने के बाद ये ईमेल मिले हैं।

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गृह मंत्री ने कहा कि सरकार ने विभिन्न मंत्रालयों के केंद्रीय सचिवों को जीओएम के लिए नियम एवं शतरें का ब्योरा तैयार करने के लिए कहा गया है। यह ब्योरा जीओएम की 7 नवंबर को होने वाली बैठक में पेश किया जाएगा। पृथक तेलंगाना के गठन के लिए आंध्र प्रदेश के बंटवारे के मामले पर विचार करने के लिए जीओएम का गठन किया गया है। शनिवार को हुई जीओएम की दूसरी बैठक में समिति ने नियम एवं शतरें पर चर्चा की गई। यह समिति वित्त, कर्मचारियों, प्राकृतिक संसाधन जैसे जल, बिजली एवं अन्य संपत्तियों के बंटवारे पर विचार करेगी।

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इससे पूर्व तेलुगु देसम पार्टी (तेदेपा) के चार सांसदों ने शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे का उनके नॉर्थ ब्लॉक कार्यालय के बाहर घेराव किया। इन सांसदों ने तेलंगाना पर गठित मंत्री समूह (जीओएम) में आंध्र प्रदेश के प्रस्तावित बंटवारे का विरोध कर रही संयुक्त कार्यवाई कमेटी (जेएसी) से भी प्रतिनिधियों को शामिल करने की मांग की। इस बीच विशाखापत्तनम से सटे विजयनगरम शहर में शांति बहाल हो जाने के बाद क‌र्फ्यू हटा लिया गया है।

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आंध्र प्रदेश के बंटवारे से जुड़े मुद्दों को देखने के लिए गठित जीओएम की दूसरी बैठक की अध्यक्षता करने के लिए शिंदे जैसे ही नार्थ ब्लॉक में प्रवेश कर रहे थे सांसद एन कृष्तप्पा, एन शिव प्रकाश, के नारायण राव और एम वेणुगोपाल रेड्डी ने उनका घेराव किया। इन सांसदों का कहना था कि बैठक तब तक नहीं होनी चाहिए जब तक आंध्र प्रदेश में मामले के बारे में सीमांध्र के आंदोलनरत लोगों से पहले चर्चा नहीं हो जाती।

जीओएम में ऐसा कोई नहीं है जो स्पष्ट तौर पर सीमांध्र की जनता की कष्टों और मांगों को जानता है। जवाब में शिंदे ने कहा कि जो मांग उन्होंने की है उस पर बैठक में चर्चा होगी। गृह मंत्री ने सांसदों की दलीलों का प्रतिवाद भी किया। उन्होंने कहा कि तेदेपा प्रमुख चंद्रबाबू नायडू अलग तेलंगाना की मांग के प्रति पार्टी की प्रतिबद्धता लिखित रूप से दी है। तेदेपा सांसदों ने नार्थ ब्लॉक के सामने तख्तियां भी लहराई जिन पर लिखा था 'सेव आंध्र प्रदेश '। बाद में संवाददाताओं से बातचीत में रेड्डी ने मांग की कि जीओएम को जनता से मिलने के लिए आंध्र प्रदेश का दौरा करना चाहिए।

हैदराबाद को तेलंगाना में रखने का प्रस्ताव रखते हुए कहा गया है कि रायलसीमा और तटीय आंध्र (सीमांध्र) की राजधानी तैयार होने तक यह दोनों राज्यों की राजधानी रहेगी, फिर भी इस शहर पर सीमांध्र के लोग भावुक बने हुए हैं। सूत्रों ने कहा कि समिति राजनीतिक क्षेत्रों के बंटवारे पर भी विचार करेगी।

शनिवार की बैठक में रक्षा मंत्री एके एंटनी को छोड़ शेष सभी छह मंत्रियों ने हिस्सा लिया। एंटनी अस्वस्थ होने के कारण बैठक में हाजिर नहीं हो सके। 11 अक्टूबर को हुई पहली बैठक में एंटनी और वित्त मंत्री पी. चिदंबरम शामिल नहीं हो पाए थे। इस बैठक में हिस्सा लेने वाले मंत्रियों में पेट्रोलियम मंत्री एम. वीरप्पा मोइली, स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद, ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश और प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री वी. नारायणसामी शामिल थे।

इससे पहले सीमांध्र क्षेत्र से आने वाले तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के चार सांसदों ने जीओएम की बैठक के खिलाफ प्रदर्शन किया और शिंदे को रोकने की कोशिश की। जैसे ही शिंदे बैठक में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे सांसदों ने 'वी वांट जस्टिस' और 'सेव आंध्र प्रदेश' के नारे बुलंद करने शुरू कर दिए। उन्होंने गृह मंत्री से पूछा कि दिल्ली में बैठक कर जीओएम किस तरह राज्य के भविष्य का फैसला लेगा। हैदराबाद में लोकसत्ता के अध्यक्ष जयप्रकाश नारायण ने भी जीओएम द्वारा अपनाई जा रही बंटवारे की प्रक्रिया की आलोचना की। उन्होंने कहा कि दिल्ली में बैठक कर वे आंध्र प्रदेश जैसे बड़े राज्य के भविष्य का फैसला आखिर किस तरह कर सकते हैं।

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