मृत्युदंड खत्म करने के पक्ष में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम
पूर्व राष्ट्रपति डाक्टर एपीजे अब्दुल कलाम मृत्युदंड की सजा बनाए रखने के पक्ष में नहीं है। उनका मानना है कि हम सभी ईश्वर की कृति है और हमें किसी भी आधार पर किसी की जान लेने का हक नहीं है। यह बात कलाम ने मृत्युदंड समाप्त करने के बारे में
नई दिल्ली (माला दीक्षित)। पूर्व राष्ट्रपति डाक्टर एपीजे अब्दुल कलाम मृत्युदंड की सजा बनाए रखने के पक्ष में नहीं है। उनका मानना है कि हम सभी ईश्वर की कृति है और हमें किसी भी आधार पर किसी की जान लेने का हक नहीं है। यह बात कलाम ने मृत्युदंड समाप्त करने के बारे में विधि आयोग को भेजी गई अपनी राय में कही है। हालांकि विधि आयोग करीब 400 लोगों की राय मिली है और उनमें ज्यादातर मृत्युदंड बनाए रखने के पक्ष में हैं।
विधि आयोग मृत्युदंड पर विचार कर रहा है। आयोग ने पिछले वर्ष परामर्श पत्र जारी कर लोगों से मृत्युदंड पर राय मांगी थी। आयोग को अब तक करीब 400 लोगों की राय मिल चुकी है जिनमें ज्यादातर लोग मृत्युदंड बनाए रखने के पक्ष में हैं। राय भेजने वाले जाने माने लोगों में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और डीएमके सांसद कमीमुई शामिल हैं।
आयोग के सूत्र बताते हैं कि पूर्व राष्ट्रपति ने अपनी राय में मृत्युदंड का विरोध किया है। उन्होंने अपनी किताब टर्निग प्वाइंट का हवाला देते हुए उन क्षणों का जिक्र किया है जब राष्ट्रपति के तौर पर उनके सामने मृत्युदंड की सजा पुष्टि के लिए आती थी। कलाम का कहना है कि उनके लिए यह काम सबसे ज्यादा मुश्किल होता था। उनका कहना है कि जब उन्होंने मामलों को अपराध की गंभीरता, अपराधी के सामाजिक और आर्थिक पहलू के नजरिये से खंगाला तो पाया कि मृत्युदंड की पुष्टि के लिए आए लगभग सारे मामलों मे सामाजिक और आर्थिक पक्षपात था।
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