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गरीबों के लिए मकान की जगह बना दिया पांच सितारा होटल

महाराष्ट्र सरकार को कथित रूप से धोखा देने और भरमाने के आरोप में केएम गोयनका, विनोद गोयनका और शाहिद बलवा सहित 14 व्यवसायियों और संस्थाओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। ज्ञातव्य है कि बलवा 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में भी नामजद है। यरवदा इलाके की 326 एकड़ भूमि पर अवैध रूप से दावा करने को लेकर इनके

By Edited By: Published: Wed, 23 Jul 2014 08:38 PM (IST)Updated: Thu, 24 Jul 2014 07:20 AM (IST)
गरीबों के लिए मकान की जगह बना दिया पांच सितारा होटल

पुणे। महाराष्ट्र सरकार को कथित रूप से धोखा देने और भरमाने के आरोप में केएम गोयनका, विनोद गोयनका और शाहिद बलवा सहित 14 व्यवसायियों और संस्थाओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। ज्ञातव्य है कि बलवा 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में भी नामजद है। यरवदा इलाके की 326 एकड़ भूमि पर अवैध रूप से दावा करने को लेकर इनके खिलाफ यह कार्रवाई की गई है। इस मामले में कमजोर वर्ग के लिए घर बनाने की जगह पंच सितारा होटल और व्यावसायिक टावर बना दिया गया।

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प्राथमिकी में मुकंद भवन ट्रस्ट, मुकुंददास मुरलीधर लोहिया (दोनों पुणे के), बंशीलाल काबरा (नाशिक), कुशलचंद चंडाक (बल्धाना), पुरुषोत्तम लोहिया, रमेश काबरा, निरंजन हीरानंदानी (सभी पुणे के), केएम गोयनका, हिल्स साइड कंस्ट्रक्शन लि., विनोद कुमार गोयनका, डीबी रीयल्टी प्राइवेट लि., शाहिद बलवा (सभी मुंबई के), पंचशील टेक पार्क और प्रेमसागर होटल्स लि. (दोनों पुणे के) के नाम हैं। यह प्राथमिकी सूचना अधिकार (आरटीआइ) कार्यकर्ता रवि बरहते ने 21 जुलाई को दर्ज कराई है।

जांच से पता चला कि मुकुंद भवन ट्रस्ट जिसे समाज के कमजोर वर्ग के लोगों के लिए घर बनाने के लिए स्वीकृति दी गई थी, वास्तव में उसने इस भूमि का इस्तेमाल इन सभी 14 आरोपियों के लाभान्वित करने के लिए व्यावसायिक मकसद से किया। इस जमीन का इस्तेमाल पांच सितारा होटल और व्यावसायिक टावर बनाने के लिए किया गया।

आरोप है कि 79 एकड़ भूमि व्यावसायिक उपयोग के लिए इस्तेमाल की गई। यह भूमि 326 एकड़ आवंटित हुई भूमि के एक हिस्से के रूप में है। आरटीआइ कार्यकर्ता बरहते ने इस मामले में लिखित शिकायत पहली बार पिछले वर्ष 13 दिसंबर को संभागीय राजस्व आयुक्त से की थी। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि पुणे के तत्कालीन जिलाधिकारी श्रीनिवास पाटिल ने मुकुंद भवन ट्रस्ट के साथ समझौता किया था। इसके साथ उन्होंने इस भूमि में से 79 एकड़ इस आश्वासन के बाद मुक्त कर दिया था कि शेष भूमि 1989 के बाद चार माह के अंदर सौंप दी जाएगी।

पढ़ें : बलवा पर एक लाख रुपये का जुर्माना


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