सेंसर बोर्ड में अटकी फिल्म 'मोदी का गांव'
फिल्म में प्रधानमंत्री की भूमिका नरेंद्र मोदी के हमशक्ल मुंबई निवासी उद्योगपति विकास महांते ने निभाई है।
राज्य ब्यूरो, मुंबई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली पर बनी फिल्म 'मोदी का गांव' के प्रदर्शन की अनुमति सेंसर बोर्ड ने नहीं दी। निर्माता यह फिल्म 10 फरवरी को प्रदर्शित करनेवाले थे।
फिल्म के निर्माता सुरेश झा का कहना है कि सेंसर बोर्ड के अधिकारी फिल्म का प्रदर्शन सुनिश्चित करने से पहले चुनाव आयोग एवं प्रधानमंत्री कार्यालय का अनापत्ति प्रमाणपत्र मांग रहे हैं। झा की स्वर्णिम ग्लोबल प्रोडक्शन कंपनी द्वारा बनाई गई इस फिल्म में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली दिखाने की कोशिश की है।
फिल्म में प्रधानमंत्री की भूमिका नरेंद्र मोदी के हमशक्ल मुंबई निवासी उद्योगपति विकास महांते ने निभाई है। झा कहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी अपना कार्य करते हुए जिम्मेदारियां स्वीकार करने की बात करते हैं। लेकिन सेंसर बोर्ड के अधिकारी प्रधानमंत्री कार्यालय एवं चुनाव आयोग का प्रमाणपत्र मांगकर अपनी जिम्मेदारियों से भागने की कोशिश कर रहे हैं। झा सवाल करते हैं कि जब किसी अन्य फिल्म के प्रदर्शन के लिए पीएमओ एवं चुनाव आयोग के अनापत्ति प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं पड़ती तो इसी फिल्म के लिए क्यों?
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झा के अनुसार फिल्म में प्रधानमंत्री का नाम 'नागेंद्र जी' दिखाया गया है। एक गांव में किसी फिक्रमंद बुजुर्ग का नाम 'मोदी काका' रखा गया है। प्रधानमंत्री की कार्यशैली देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलती-जुलती दिखाई गई है। फिल्म में कोई तथ्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीधे संबद्ध नहीं दिखाया गया है। इसलिए इसे बायोपिक की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।
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बता दें कि बायोपिक के लिए उस व्यक्ति की अनुमति जरूरी होती है, जिसके जीवन पर वह बनाई गई हो। चुनाव आयोग का अनापत्ति प्रमाणपत्र सेंसर बोर्ड इसलिए मांग रहा है, क्योंकि उसे आशंका है कि इस फिल्म के प्रदर्शन का लाभ इन दिनों हो रहे विधानसभा चुनावों में भाजपा को हो सकता है। जबकि फिल्म में कहीं भाजपा का जिक्र नहीं किया गया है। फिल्म में दिखाई गई प्रधानमंत्री से संबंधित टीवी चैनलों की खबरों की फुटेज पर भी सेंसर बोर्ड को आपत्ति है।