नोटबंदी से महंगाई, बेरोजगारी बढ़ने का खतरा
11 जनवरी को वित्त मंत्रालय के अधिकारियों तथा 18 जनवरी को रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल से इस मुद्दे पर बातचीत करेगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नोटबंदी की काली छाया आर्थिक विकास दर और रोजगार सृजन पर पड़ सकती है। साथ ही इससे आने वाले दिनों में महंगाई भी बढ़ सकती है। आर्थिक जगत के जाने माने विशेषज्ञों ने गुरुवार को संसदीय समिति की बैठक में ये विचार व्यक्त किए। कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली संसद की वित्त मामलों संबंधी समिति नोटबंदी के विभिन्न पहलुओं पर विचार कर रही है। समिति इसी कड़ी में 11 जनवरी को वित्त मंत्रालय के अधिकारियों तथा 18 जनवरी को रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल से इस मुद्दे पर बातचीत करेगी।
सूत्रों ने कहा कि चार विशेषज्ञों ने नोटबंदी पर संसदीय समिति के समक्ष अपने विचार रखे। इन विशेषज्ञों में वरिष्ठ अर्थशास्त्री राजीव कुमार, पूर्व मुख्य सांख्यिकीयविद प्रणव सेन, महेश व्यास और एनआइपीएफपी की कविता राव शामिल हैं। सूत्रों ने कहा कि तीन विशेषज्ञों ने नोटबंदी के अर्थव्यवस्था पर विपरीत असर पड़ने की बात कही जबकि एक ने इसके सकारात्मक पहलुओं की चर्चा की।
सूत्रों ने बताया कि विशेषज्ञों ने कहा कि नोटबंदी के चलते आने वाले दिनों में महंगाई और बेरोजगारी बढ़ने तथा आर्थिक वृद्धि दर पर नकारात्मक असर पड़ेगा। समिति के सदस्यों ने विशेषज्ञों से नकदी के सकल घरेलू उत्पाद तथा कर और जीडीपी के अनुपात के बारे में भी सवाल किए।
सूत्रों ने कहा कि नोटबंदी के मुद्दे पर समिति की अगली बैठक 11 जनवरी को होगी जिसमें वित्त मंत्रालय के अधिकारी इस मुद्दे पर अपनी राय रखेंगे। इसके बाद 18 जनवरी को होने वाली बैठक में रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल समिति के समक्ष उपस्थित होकर नोटबंदी पर सरकार के फैसले के विभिन्न पहलुओं की चर्चा करेंगे। इसके अलावा समिति आम लोगों को नकदी निकालने में आ रही परेशानियों पर बैंकों के अधिकारियों तथा इंडियन बैंक्स एसोएिशन के प्रतिनिधियों से भी बात करेगी। इसके अलावा समिति सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के विशेषज्ञांे से भी बातचीत करेगी ताकि डिजिटल पेमेंट्स को बढ़ावा देने की सरकार की तैयारियों का जायजा लिया जा सके। विशेषज्ञों ने बताया कि फिलहाल डिजिटल अर्थव्यवस्था करीब 3 प्रतिशत है जिसे बढ़ाने के प्रयास हैं। माना जा रहा है कि समिति कुछ और विशेषज्ञों को भी नोटबंदी पर चर्चा के लिए बुला सकती है।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर को राष्ट्र के नाम संबोधन में 500 रुपये और 1000 रुपये के पुराने नोट बंद करने का ऐलान किया था। इसके बाद आरबीआइ ने नकदी निकासी की सीमा भी प्रति व्यक्ति प्रति सप्ताह 24000 रुपये तय कर दी। इसके अलावा बार-बार नियमों में फेरबदल किया गया जिससे आम लोगों को असमंजस की स्थिति तथा परेशानी का सामना भी करना पड़ा।
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