अजित को खोई जमीन का अहसास करा गए दिग्गज
राजनीति में वक्त की करवट भांपना अक्सर कठिन होता है। लोकसभा चुनावों से पहले इसी मैदान पर रालोद की भारी भरकम रैली हुई थी, जिसमें सुलगते आक्रोश को भांपने में छोटे चौधरी चूक गए थे। किंतु रविवार को स्वाभिमान रैली में किसान और रालोद इस बार प्रायश्चित की मुद्रा में नजर आए। लोकसभा चुनाव में छोटे चौधर
मेरठ, [दिनेश दिनकर]। राजनीति में वक्त की करवट भांपना अक्सर कठिन होता है। लोकसभा चुनावों से पहले इसी मैदान पर रालोद की भारी भरकम रैली हुई थी, जिसमें सुलगते आक्रोश को भांपने में छोटे चौधरी चूक गए थे। किंतु रविवार को स्वाभिमान रैली में किसान और रालोद इस बार प्रायश्चित की मुद्रा में नजर आए। लोकसभा चुनाव में छोटे चौधरी को हराने का गम किसानों के चेहरे पर उभरा। समर्थकों ने बागपत और मथुरा हाथ से निकलने पर हाथ मला। उधर, दिग्गजों ने रालोद को आत्ममंथन कर किसानों से कनेक्टिीविटी बढ़ाने का पाठ पढ़ाया।
दिल में धड़कते हैं बड़े चौधरी
राष्ट्रीय राजनीति में छोटे चौधरी के ग्रह गोचर ठीक नहीं चल रहे हैं, ऐसे में गैर भाजपा दलों का साथ मिलने के बाद अपनी खोई साख परखने वह अपनों के बीच पहुंच गए। किसानों के मसीहा चौ. चरण सिंह के सम्मान का वास्ता पाकर किसान बड़ी संख्या में पहुंचे। भले ही यह भीड़ वोटों में सौ फीसदी तब्दील न हो, किंतु चौ. चरण के प्रति उनके मन में अथाह सम्मान है। रैली में बागपत, शामली, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद और मथुरा जिले से तमाम किसान आए। जयंत से लेकर छोटे चौधरी ने मंच संभाला तो उनका फोकस किसानों से गिला शिकवा मिटाने पर रहा।
चूक पर चूक
लोकसभा चुनाव के बाद से छोटे चौधरी किसानों से कट से गए थे। न अपनी हार पर कोई प्रतिक्रिया दी और न वह जनता के बीच आए। इसका फायदा अन्य सियासी दलों ने उठाया। इधर, किसानों में चौधरी को लेकर बेचैनी स्वाभाविक थी। वह उन्हें सुनना चाहते थे और देखना भी। मंच पर उतरे दिग्गज नेताओं केसी त्यागी, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव समेत सभी वक्ताओं के निशाने पर बागपत के ही लोग थे। किसानों को कहा कि वह अस्मत की रक्षा बागपत और मथुरा में भी नहीं कर सके? इसके लिए प्रायश्चित तो करना ही होगा, अपनी कमजोर हुई ताकत को ऊर्जा देनी होगी और उसे बंटने नहीं देना होगा। दावा किया कि चौ. परिवार अकेले ही संघ परिवार पर भारी है।
छोटे चौधरी को भी नसीहत
मंच पर उपस्थित नेताओं में से कई का भाजपा से पुराना नाता रहा है। चौ. चरण सिंह कई बार उनके विपक्षियों में रहे हैं। बदली हुई परिस्थितियों में वक्ताओं ने मोदी फैक्टर को निस्तेज करने के लिए मनमुटाव भुलाकर मंच साझा किया, किंतु छोटे चौधरी के गढ़ में उन्हीं के समर्थकों के बीच नसीहत भी दी। वक्ता समझते हैं कि रालोद की हार महज किसानों की चूक नहीं है। ऐसे में उन्होंने रालोद की हार पर देर तक फोकस कर छोटे चौधरी को भी आगाह किया कि जनता से कटने का नतीजा हार का कारण बनती है। किसानों ने छोटे चौधरी का लंबा साथ निभाया है, किंतु उतना मिला नहीं, ऐसे में गिला शिकवा मिटाने के मुहूर्त के बावजूद जनसंपर्क ही उन्हें खोई जमीन दिला पाएगा।
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तुगलक रोड की कोठी खाली कराने वाला और स्मारक न बनने की बात करने वाला नगर विकास मंत्री [एम. वेंकैया नायडू] जहां मिल जाए, उसका इलाज करना है।
-साहब सिंह वर्मा [दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री -उप्र सरकार]
वे चौधरी साहब ही थे, जिन्होंने कहा था कि ज्ञानी जैल सिंह का राष्ट्रपति बनना देश का दुर्भाग्य है। उन्होंने ही नेहरू की सहकारी खेती की नीति का विरोध किया था।
-वीरपाल राठी [रालोद विधायक]
चीन, पाकिस्तान से निपट तो पा नहीं रहे हैं, झूठी ताकत दिखाकर किसानों को रोक रहे हैं।
-मुन्ना सिंह चौहान [प्रदेश अध्यक्ष, रालोद]
हम सबकी लड़ाई जालिमों से है और हम इस लड़ाई में संघर्ष समिति के साथ हैं।
-हरेंद्र मलिक [पूर्व कांग्रेस सांसद]
जिसने देश आजाद कराया, आज उसके सम्मान की खातिर रैली करनी पड़ रही है। सरकार नहीं सुनती है तो हम एक ईट, एक नोट लेकर खुद स्मारक बनाएंगे।
-नसीब पठान [कांग्रेस एमएलसी]
आज केंद्र में उनकी सरकार है, जो जंग-ए-आजादी के खिलाफ थे। ऐसे में चौ. चरण सिंह के प्रति उनमें सम्मान की भावना की कल्पना भी बेमानी है।
-राजेंद्र शर्मा [पूर्व प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष]