मोदी प्रेम से चिंतित कांग्रेस ने लगाई नेताओं पर बोलने की पाबंदी
गंभीर आंतरिक असंतोष व वरिष्ठ नेताओं में बढ़ते मोदी प्रेम के बीच कांग्रेस ने पार्टी नेताओं के बोलने पर पाबंदी लगाने का प्रयास किया है। देश की सबसे पुरानी व बड़ी राजनीतिक पार्टी को अपने ही बयानबाज नेताओं से खतरा पैदा हो गया है। पार्टी महासचिव व कम्युनिकेशन विभाग के प्रमुख अजय माकन ने कहा है कि पार्टी द्वारा अधिकृत डेढ़
नई दिल्ली। गंभीर आंतरिक असंतोष व वरिष्ठ नेताओं में बढ़ते मोदी प्रेम के बीच कांग्रेस ने पार्टी नेताओं के बोलने पर पाबंदी लगाने का प्रयास किया है। देश की सबसे पुरानी व बड़ी राजनीतिक पार्टी को अपने ही बयानबाज नेताओं से खतरा पैदा हो गया है। पार्टी महासचिव व कम्यूनिकेशन विभाग के प्रमुख अजय माकन ने कहा है कि पार्टी द्वारा अधिकृत डेढ़ दर्जन प्रवक्ताओं के आलावा किसी भी नेता की कही बात कांग्रेस की बात नहीं मानी जानी जाएगी।
कांग्रेस में जारी गुटबाजी और तेज होते सत्ता संघर्ष के बीच विरोध की आवाज को दबाने के प्रयास शुरू हो गए हैं। विभिन्न मुद्दों पर पार्टी नेताओं के अलग-अलग बयानों और दिग्विजय सिंह, गुलाम नबी आजाद, शशि थरूर जैसे नेताओं के मोदी प्रेम से फजीहत झेल रही कांग्रेस ने मात्र 18 लोगों को पार्टी की तरफ से बात रखने के लिए अधिकृत किया है। हालांकि, पार्टी प्रवक्ता शकील अहमद ने यह भी कहा है कि विभिन्न राज्यों के प्रभारी महासचिव अपने प्रभार वाले राज्यों को लेकर मीडिया में अपनी बात कह सकते हैं।
शकील अहमद ने इस आदेश को बोलने पर पाबंदी मानने से इन्कार करते हुए कहा कि संगठन की बात रखने के लिए पार्टी अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के बाद प्रवक्ता ही होते हैं। इससे पहले कांग्रेस महासचिव व कम्यूनिकेशन विभाग प्रमुख अजय माकन ने बयानबाजी करने वाले नेताओं को परोक्ष रूप से नसीहत देते हुए ट्विटर पर कहा कि 'सिर्फ पार्टी के प्रवक्ता ही पार्टी की तरफ से बोलने के लिए अधिकृत हैं।' उन्होंने साथ में पार्टी के प्रवक्ताओं की सूची भी जारी की।
गौरतलब है कि राहुल गांधी के समर्थकों व सोनिया समर्थकों के बीच चल रहे शीत युद्ध में कई बार बयानों को लेकर पार्टी असहज स्थिति में फंस चुकी है। कांग्रेस को कई बार अपने नेताओं के बयान से किनारा करने व सफाई देने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
'गंभीर नहीं मोदी सरकार'
कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी की सरकार पर लोकपाल को लेकर गंभीर नहीं होने का आरोप लगाया है। संप्रग सरकार द्वारा नामित उम्मीदवार को लोकपाल पैनल में शामिल करने पर भाजपा नीत राजग सरकार के बदले रवैये पर भी कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर लोकपाल पैनल में वरिष्ठ अधिवक्ता पीपी राव की नियुक्ति का बचाव किया था। कांग्रेस प्रवक्ता शकील अहमद ने कहा, 'लोकसभा और विपक्ष के नेता सुषमा स्वराज व अरुण जेटली ने पीपी राव की नियुक्ति का विरोध किया था। अब सत्ता में आने पर भाजपा उस चयन (पीपी राव) का समर्थन कर रही है। यह मोदी सरकार के रवैये को दर्शाता है।