दिल्ली गैंगरेप केस: ऐ भइया, ई कोर्ट में जज साहब और वकील क्या बोले?
वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म मामले में आरोपियों की सजा पर बहस शुरू होने से पूर्व पीड़ित युवती के माता-पिता को साकेत कोर्ट में लाया गया। सुबह 11 बजे से शुरू हुई सुनवाई दोपहर 2.10 बजे तक चली। पूरी सुनवाई में पीड़िता के माता-पिता कभी जज को, कभी वकीलों को तो कभी वहां मौजूद पत्रकारों को ताकते रहे।
पवन कुमार, नई दिल्ली। वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म मामले में आरोपियों की सजा पर बहस शुरू होने से पूर्व पीड़ित युवती के माता-पिता को साकेत कोर्ट में लाया गया। सुबह 11 बजे से शुरू हुई सुनवाई दोपहर 2.10 बजे तक चली। पूरी सुनवाई में पीड़िता के माता-पिता कभी जज को, कभी वकीलों को तो कभी वहां मौजूद पत्रकारों को ताकते रहे। बुधवार की सुनवाई के दौरान उनका बेटा अदालती कार्यवाही समझाने के लिए उनके साथ नहीं था।
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पीड़ित युवती के माता को समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है। अदालती कार्यवाही से साथ-साथ उनकी उत्सुकता बढ़ती गई। जैसे ही अदालत की कार्यवाही समाप्त हुई, पीड़िता की मां ने मीडिया कर्मी के कंधे पर हाथ रख कर पूछा कि ऐ भइया, ई कोर्ट में जज साहब और वकील अंग्रेजी में क्या बोले? हमें अंग्रेजी नहीं आती। हिंदी में बोला तो समझ आ गया। मगर, अदालत व वकीलों ने जो अंग्रेजी में बोला वो समझ नहीं आया।
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मीडियाकर्मी ने उन्हें बताया कि माता जी अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है और फैसला शुक्रवार को सुनाया जाएगा। इतना सुनने के बाद भी पीड़िता की मां की उत्सुकता शांत नहीं हो पा रही थी। वह जानना चाहती थी कि आखिरकार बचाव पक्ष ने अंग्रेजी में अदालत के सामने क्या-क्या दलीलें दीं। मीडिया कर्मी ने उन्हें बताया कि बचाव पक्ष ने मानवाधिकार का हवाला देते हुए फांसी न दिए जाने की मांग की और उन पर रहम की अपील की है। उन्होंने महात्मा गांधी, सहित विभिन्न महान हस्तियों का हवाला देते हुए फांसी न दिए जाने की अपील की है।
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इतना सुनना था कि शांत बैठी पीड़िता की मां एकदम से क्रोधित हो उठी। उन्होंने कहा कि रहम तो हम पर करना चाहिए। आरोपी मानवाधिकार की दुहाई दे रहे हैं। क्या उनकी बेटी का कोई मानवाधिकार नहीं था? इन दरिंदों ने उनकी बेटी पर रहम नहीं किया तो उन पर भी रहम नहीं किया जाना चाहिए। अभियुक्तों पर रहम के लिए महान हस्तियों के नामों का इस्तेमाल करना सही नहीं है। पीड़िता के पिता ने पत्नी के कंधे पर हाथ रखकर उसे शांत किया। पीड़िता के पिता ने कहा कि उन्हें न्याय पर पूरा भरोसा है। तभी मीडियाकर्मियों की भीड़ अदालत कक्ष में आ गई और उन्होंने उनसे सवाल करने शुरू कर दिए। इनका जवाब दिए बिना ही वे दोनों सीट से उठे और अदालत कक्ष से बाहर चले गए।
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