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विपक्षी एकता में बिखराव की सियासी चूक से कांग्रेस में बेचैनी

कांग्रेस के सियासी गलियारे में इस चूक को लेकर अंगुली मुख्य रुप से संसद में उसके रणनीतिकारों आनंद शर्मा, ज्योतिरादित्य सिंधिया और दीपेंद्र हुड्डा की ओर उठाई जा रही है।

By Manish NegiEdited By: Published: Sat, 17 Dec 2016 07:10 PM (IST)Updated: Sat, 17 Dec 2016 07:35 PM (IST)
विपक्षी एकता में बिखराव की सियासी चूक से कांग्रेस में बेचैनी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नोटबंदी पर सरकार के खिलाफ मजबूत हुई विपक्षी एकता में संसद के आखिरी दिन हुए बिखराव को लेकर कांग्रेस में अंदरुनी बेचैनी है। पार्टी के सियासी गलियारे में पुराने दिग्गज इस चूक के लिए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की युवा ब्रिगेड के रणनीतिकारों की ओर उंगली उठा रहे हैं। मगर युवा ब्रिगेड के रणनीतिकार और संसदीय मैनेजर शीत सत्र के अंतिम दिन राहुल की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात में अपनी भूमिका से किनारा कर रहे हैं। साफ है कि विपक्षी एकता में पड़ी फूट में चूक कहां और किससे हुई इसकी जिम्मेदारी लेने से सभी बच रहे हैं।

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कांग्रेस के सियासी गलियारे में इस चूक को लेकर अंगुली मुख्य रुप से संसद में उसके रणनीतिकारों आनंद शर्मा, ज्योतिरादित्य सिंधिया और दीपेंद्र हुड्डा की ओर उठाई जा रही है। हालांकि सिंधिया ने इस बात से इनकार किया है कि पीएम से मुलाकात के लिए उन्होंने राहुल को सलाह दी। शर्मा ने भी इसी तरह अपना पल्ला झाड़ लिया है। इसके बचाव में पार्टी के नए मैनेजरों का तर्क है कि देवरिया से दिल्ली तक राहुल की यात्रा के समय किसानों से किए वादे के संबंध में दो हफ्ते पहले प्रधानमंत्री से मिलने का समय मांगा गया था।

पीएम से समय मिलने के बाद इससे टालना मुनासिब नहीं था। हालांकि विपक्षी खेमे के एक अहम नेता माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कांग्रेस को सलाह दी थी कि राहुल की बजाय पार्टी के दूसरे नेता जाकर पीएम से मिल लें। मगर तब पार्टी रणनीतिकारों ने इसकी अनदेखी कर दी। कांग्रेस के इस कदम से नाराज एनसीपी नेता शरद पवार ने शनिवार को पीएम के खिलाफ अपने बयान से संसद में भूकंप लाने की बात पर चुटकी ली। उन्होंने कहा कि राहुल के इस बयान का उनको भी इंतजार है।

बहरहाल, राहुल-पीएम मुलाकात से विपक्षी सियासत को लगे झटके से बढ़ी बेचैनी के बीच अब कांग्रेस नेतृत्व फिलहाल नोटबंदी को नाकाम साबित करने के अपने राष्ट्रीय अभियान पर जोर देगा। इस सियासी चूक की आगे भरपाई की जा सके। राहुल गांधी ने इसी रणनीति के तहत कई राज्यों में आने वाले दिनों में अपनी रैलियों की बनाई है। इसकी शुरूआत उत्तरप्रदेश के जौनपुर में 19 दिसंबर को हो रही रैली से होगी। ताकि संसद सत्र के आखिरी दिन बिफरे अन्य विपक्षी दलों को यह संदेश दिया जा सके कि वे राहुल-पीएम मुलाकात को किसानों से किए वादे के एक अलग परिप्रेक्ष्य में देखें।

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