डॉक्टरों की लापरवाही से आंखें खोने वाली लड़की को 1.7 करोड़ मुआवजा
तमिलनाडु के सरकारी अस्पताल में जन्म लेने वाली एक लड़की ने डॉक्टरों की लापरवाही के कारण अपनी आखें खो दी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सरकार को पीडि़ता को 1.7 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है।
चेन्नई। तमिलनाडु के सरकारी अस्पताल में जन्म लेने वाली एक लड़की ने डॉक्टरों की लापरवाही के कारण अपनी आखें खो दी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सरकार को पीडि़ता को 1.7 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है।
जस्टिस जेएस शेखर और एसए बोब्दे की बेंच ने डॉक्टराें को लापरवाही का दोषी पाते हुए अब तक का सबसे ज्यादा 1.7 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का तमिलनाडु सरकार को आदेश दिया है, जिसमें उपचार के लिए 42 लाख रुपये की राशि भी शामिल है।
मालूम हो कि पीडि़त लड़की का जन्म समय से पूर्व 30 अगस्त 1986 में हुआ था। इस लड़की को जन्म के बाद 25 दिनों तक आइसीयू के इनक्यूबेटर में रखा गया था। लड़की की अस्पताल से छुट्टी होने के बाद भी डॉक्टर से वह कई बार मिली लेकिन उन्होंने अभिभावक को उसके रेटिनोपैथी फॉर प्रीमेच्योरिटी बीमारी की जांच की सलाह नहीं दी, जो समय से पूर्व जन्मे बच्चों में अक्सर पाई जाती है। जब तक प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टर लड़की की इस बीमारी को पकड़ पाते तब तक देर हो चुकी थी, वह अपनी आंखें खो चुकी थी।
बेंच को इस बात पर काफी हैरानी हुई कि क्यों डॉक्टरों ने लड़की की इतनी जरूरी जांच नहीं करवाई। इसलिए कोर्ट ने लापरवाही का मामाला मानते हुए लड़की का केस लड़ रहे वकील निखिल नायर की दलीलों को सही ठहराते हुए लड़की के हक में फैसला सुनाया। नायर की दलील थी कि सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों की पूरी निगरानी में रहने के बावजूद ये हादसा हुआ जिसके लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है।